Breast Cancer: आजकल महिलाओं में स्मोकिंग की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है. कुछ इसे स्टाइल और स्टेटस का प्रतीक मानती हैं तो कुछ इसे आदत का हिस्सा बना लेती हैं. लेकिन यह शौक उनकी सेहत के लिए घातक साबित हो सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार स्मोकिंग न केवल फेफड़ों और हृदय के लिए हानिकारक है बल्कि यह महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को भी 30% तक बढ़ा देती है. समय पर इलाज न होने पर यह बीमारी जानलेवा बन सकती है. आइए जानते हैं कि स्मोकिंग कैसे बन रही है ब्रेस्ट कैंसर की जड़ और इससे बचाव के उपाय.
ब्रेस्ट कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो स्तन के ऊतकों (टिश्यूज) और ग्रंथियों में शुरू होती है. यह आमतौर पर एक ट्यूमर या गांठ के रूप में प्रकट होता है जिसे छूने या एक्स-रे (मैमोग्राफी) के जरिए पहचाना जा सकता है. हालांकि हर गांठ कैंसर नहीं होती लेकिन स्तन में किसी भी असामान्य बदलाव को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अगर समय पर ब्रेस्ट कैंसर का पता चल जाए तो इसका इलाज आसान हो सकता है और मरीज की जान बचाई जा सकती है.
सिगरेट में मौजूद हानिकारक रसायन जैसे निकोटीन और टार, शरीर में प्रवेश कर स्तन की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं. एक अध्ययन के मुताबिक स्मोकिंग करने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 30% तक बढ़ जाता है. खास तौर पर जो महिलाएं 20 साल की उम्र से पहले स्मोकिंग शुरू करती हैं या अपने पहले बच्चे के जन्म से पहले पांच साल तक सिगरेट पीती हैं उनमें यह जोखिम कई गुना बढ़ जाता है. इसके अलावा 21 साल से अधिक समय तक लगातार स्मोकिंग करने वाली प्री-मेनोपॉज़ल महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर से मृत्यु का खतरा 3.4 गुना तक बढ़ सकता है.
अध्ययनों से पता चलता है कि प्री-मेनोपॉज़ल महिलाएं जो लंबे समय से स्मोकिंग कर रही हैं. ब्रेस्ट कैंसर के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील होती हैं. हालांकि पोस्ट-मेनोपॉज़ल महिलाओं पर स्मोकिंग का प्रभाव अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है. इसके बावजूद हेल्थ एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि स्मोकिंग से दूरी बनाना न केवल ब्रेस्ट कैंसर, बल्कि फेफड़े, हृदय और किडनी जैसी अन्य गंभीर बीमारियों से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है.
महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षणों को पहचानना जरूरी है ताकि समय पर इलाज शुरू हो सके. ये लक्षण हैं-
ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए सबसे पहला कदम है स्मोकिंग को पूरी तरह छोड़ना. इसके अलावा नियमित मैमोग्राफी, स्वस्थ आहार, व्यायाम और तनाव प्रबंधन भी महत्वपूर्ण हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं को अपनी सेहत को प्राथमिकता देनी चाहिए और किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. समय पर डॉक्टर से सलाह लेना जीवन रक्षक हो सकता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.