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पीरि‍यड्स में Menstrual Cup का इस्तेमाल करना हो सकता है रिस्की, जानें क्यों?

र्तमान समय में मेंस्ट्रुअल कप का चलन तेजी से बढ़ा है, क्योंकि यह इको-फ्रेंडली, किफायती और सुविधाजनक विकल्प माना जाता है। हालांकि सब सुविधाओं के बाद भी इसके कुछ नुकसान भी है. अगर कप को सही तरीके से साफ नहीं किया जाता या हाथ धोए बिना बार-बार लगाया और निकाला जाता है, तो बैक्टीरियल का खतरा बढ़ सकता है।

Use of Menstrual Cup
inkhbar News
  • Last Updated: March 31, 2025 12:52:16 IST

नई दिल्ली: महिलाओं के लिए पीरि‍यड्स के दौरान हमेशा से आरामदायक और सुरक्षित विकल्पों की तलाश की जाती रही है। वहीं वर्तमान समय में मेंस्ट्रुअल कप का चलन तेजी से बढ़ा है, क्योंकि यह इको-फ्रेंडली, किफायती और सुविधाजनक विकल्प माना जाता है। हालांकि ये थोड़ा रिस्की के साथ-साथ, इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, जिन पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।

क्या है मेंस्ट्रुअल कप?

मेंस्ट्रुअल कप सिलिकॉन, लेटेक्स या रबर से बना होता है, जिसे महिलाओं की वजाइना में डाला जाता है। यह कप के आकार का होता है और पीरि‍यड्स के दौरान ब्लड को अंदर जमा करता है। यह सामान्य पैड और टैम्पोन की तुलना में ज्यादा आरामदायक होता है और लीकेज से बचाने में मदद करता है। हालांकि इन सब सुविधाओं के बाद भी इसके कुछ नुकसान भी है.

साइड इफेक्ट्स

1. इंफेक्शन का खतरा: अगर कप को सही तरीके से साफ नहीं किया जाता या हाथ धोए बिना बार-बार लगाया और निकाला जाता है, तो बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। वहीं इसे लंबे समय तक इस्तेमाल करने से संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है।

2. एलर्जी और जलन: कुछ महिलाओं को सिलिकॉन, लेटेक्स या रबर से एलर्जी हो सकती है, जिससे वजाइना में जलन, खुजली या रैशेज हो सकते हैं। अगर कप लगाने के बाद असहज महसूस हो, तो इसे तुरंत हटा देना चाहिए।

3. टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (TSS): यह एक गंभीर संक्रमण है, जो लंबे समय तक मेंस्ट्रुअल कप को अंदर रखने से हो सकता है। इस स्थिति में बुखार, उल्टी, चक्कर आना और कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

4. पेशाब की दिक्कतें: कुछ महिलाओं को मेंस्ट्रुअल कप लगाने के बाद बार-बार पेशाब आने या हल्का दबाव महसूस होने की शिकायत होती है। यह कप के गलत तरीके से फिट होने के कारण हो सकता है।

5. वजाइनल ड्राइनेस: अगर कप का आकार सही नहीं है या यह बहुत ज्यादा सूखा महसूस हो रहा है, तो वजाइनल ड्राइनेस की समस्या हो सकती है, जिससे जलन और असहजता महसूस हो सकती है।

कैसे बरतें सावधानी?

सही साइज चुनें ताकि कप आराम से फिट हो सके।

हाइजीन मेंटेन करें, हर इस्तेमाल के बाद इसे अच्छे से धोएं।

ज्यादा देर तक न पहनें, हर 8-12 घंटे में इसे बदलें।

अगर असहज महसूस हो तो तुरंत हटा दें।

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