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होली पर गुजिया खाने के पीछे क्या है इतिहास, जानें कौन से देश की है ये प्रसिद्ध मिठाई

इस साल होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा। वहीं रंगों के इस त्योहार में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। गुजिया इन्हीं पकवानों में से एक है. हर साल होली के मौके पर गुजिया बनाई जाती है और साथ ही इसका भोग भी लगाया जाता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में होली के मौके पर बनने वाली गुजिया असल में भारतीय मिठाई नहीं है।

Holi festival 2025, Gujiya
inkhbar News
  • Last Updated: March 13, 2025 16:21:22 IST

नई दिल्ली: छोटी होली उर्फ़ होलिका दहन के साथ ही हर किसी में होली को लेकर जोश देखने को मिल रहा है. आखिर ऐसा हो भी क्यों न यह हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से जो एक है। होली फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस साल होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा। वहीं रंगों के इस त्योहार में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। गुजिया इन्हीं पकवानों में से एक है, जिसके बिना होली का पर्व अधूरा माना जाता है।

होली में गुजिया का महत्व

गुजिया भारत में बनने वाली एक लोकप्रिय मिठाई है, जिसे आमतौर पर होली के मौके पर बनाया जाता है। यह कई लोगों की पसंदीदा मिठाई होती है, जिसे लोग बड़ी चांव से खाते हैं। लेकिन क्या आपको बता हैं कि रंगो के इस त्योहार में गुजिया क्यों बनाई जाती है। गुजिया और होली का क्या संबंध है। चलिए आपको बताते हैं इस स्वादिष्ठ मिठाई के पीछे का इतिहास क्या है?

कैसे मशहूर हुई गुजिया

हर साल होली के मौके पर गुजिया बनाई जाती है और साथ ही इसका भोग भी लगाया जाता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में होली के मौके पर बनने वाली गुजिया असल में भारतीय मिठाई नहीं है। बता दें ये मिठाई तुर्किए के रास्ते होते हुए भारत पहुंची थी। इसके बाद धीरे-धीरे पूरे देशभर में मशहूर हो गई। दरअसल, कई इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि गुजिया तुर्किए की फेमस मिठाई बकलावा से प्रेरित है।

बकलावा का एक रूप

ऐसा भी कहा जाता है कि बकलावा केवल शाही परिवारों में बनाई जाने वाली मिठाई है। इसी मिठाई की तर्ज पर भारत में गुजिया की शुरुआत हुई। इतिहासकारों की मानें तो गुजिया का जिक्र सबसे पहले 13वीं शताब्दी में मिलता है, जब इसे धूप में सुखाकर खाया जाता था। बाद में बदलते समय के साथ इसमें कई एक्सपेरिमेंट किए गए और इसका वर्तमान गुजिया के रूप में सामने आया। हालांकि इसकी उत्पत्ति को लेकर कोई सटीक जानकारी नहीं है।

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