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गोरखपुर में बच्चों की मौत पर कार्रवाई का वादा कब तक, कसूरवार कौन है ?

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौतों पर राजनीति तेज़ हो गई है. यूपी की योगी सरकार एक्शन में है, लेकिन सरकार की कार्रवाई से यही साफ नहीं है कि सिर्फ 2 दिन में 36 बच्चों की मौत ऑक्सीजन की सप्लाई ठप होने से हुई या फिर इंसेफेलाइटिस के चलते बच्चों ने दम तोड़ दिया.

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  • Last Updated: August 14, 2017 13:15:08 IST
नई दिल्ली: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौतों पर राजनीति तेज़ हो गई है. यूपी की योगी सरकार एक्शन में है, लेकिन सरकार की कार्रवाई से यही साफ नहीं है कि सिर्फ 2 दिन में 36 बच्चों की मौत ऑक्सीजन की सप्लाई ठप होने से हुई या फिर इंसेफेलाइटिस के चलते बच्चों ने दम तोड़ दिया.
 
बच्चों की मौत अगर इंसेफेलाइटिस से हुई, तो फिर ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और नोडल ऑफिसर निशाने पर क्यों हैं ? गोरखपुर में बच्चों की मौत पर कार्रवाई का वादा कब तक ? कसूरवार कौन हैं, इसका खुलासा कब करेगी सरकार, आज इन्हीं सुलगते सवालों पर होगी महाबहस.
 
गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में जुलाई से सितंबर का वक्त मौत के महीनों के तौर पर 4 दशक से कुख्यात है. इंसेफेलाइटिस नाम का दैत्य हर साल सैकड़ों बच्चों की जान लेता है और हजारों को जिंदगी भर के लिए विकलांग बनाता है लेकिन, इस बार महामारी के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज प्रशासन और यूपी सरकार की लापरवाही ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज को मरघट में बदल दिया.
 
मेडिकल कॉलेज में 63 लाख का पेमेंट ना होने के चलते ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने ऑक्सीजन के सिलेंडर भेजने बंद कर दिए. इधर ऑक्सीजन की सप्लाई ठप हुई और दूसरी ओर मौतों का सिलसिला तेज़ हो गया. सिर्फ दो दिन में इंसेफेलाइटिस वार्ड में भर्ती 36 बच्चों की मौत पर बीते चार दिनों से यूपी की राजनीति में भूचाल आया हुआ है.
 
पीड़ितों के परिजन और विरोधी पार्टियां आरोप लगा रही हैं कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने से हुई, लेकिन योगी सरकार ऐसा नहीं मानती. सरकार का दावा है कि मौतें इंसेफेलाइटिस के चलते हुई हैं. हालांकि एनडीए में शामिल शिवसेना ने भी इसे बाल हत्या बताते हुए योगी सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है.
 
योगी सरकार ने इस मामले में पहली गाज बीआरडी मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉक्टर राजीव मिश्रा पर गिराई. उन्हें सस्पेंड किया गया, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. बाद में इंसेफेलाइटिस वार्ड के नोडल ऑफिसर डॉक्टर कफील भी निशाने पर आ गए. डॉक्टर कफील गोरखपुर में ही नर्सिंग होम भी चलाते रहे हैं. उन पर कई तरह के आरोप हैं, जिनकी जांच शुरू हो गई है.
 
अब सवाल ये है कि अगर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मौतों की वजह ऑक्सीजन की कमी नहीं थी, तो फिर मेडिकल कॉलेज प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई क्यों हो रही है ? अगर मौतें इंसेफेलाइटिस के चलते हुईं, तो क्या सिर्फ बीमारी को ही जिम्मेदार ठहराना सही है, क्या इसके लिए सरकार, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की कोई जिम्मेदारी नहीं ?
 
वीडियो में देखें पूरा शो)

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