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अर्ध सत्य: भाषा खत्म होने के बाद आखिर कैसे बचेगी संस्कृति

नई दिल्ली. सोशल मीडिया ने एक नई भाषा को जन्म दिया है. यह भाषा इस्तेमाल और एक्सप्रेशन में तो आसान है लेकिन व्याकरण रहित है. इस व्याकरण रहित भाषा के भविष्य पर इंडिया न्यूज़ के स्पेशल शो ‘अर्ध सत्य’ में गंभीरता से विचार किया गया. एक तरफ जहां युवा वर्ग सहूलियत के लिहाज़ से इस […]

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  • Last Updated: June 1, 2015 01:58:59 IST

नई दिल्ली. सोशल मीडिया ने एक नई भाषा को जन्म दिया है. यह भाषा इस्तेमाल और एक्सप्रेशन में तो आसान है लेकिन व्याकरण रहित है. इस व्याकरण रहित भाषा के भविष्य पर इंडिया न्यूज़ के स्पेशल शो ‘अर्ध सत्य’ में गंभीरता से विचार किया गया. एक तरफ जहां युवा वर्ग सहूलियत के लिहाज़ से इस भाषा व्यव्हार की तारीफ करते नहीं थकता वहीं भाषा के जानकार इसे भाषाओं के लिए गंभीर खतरा भी मान रहे हैं. 

दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज के प्रिसिंपल प्रो विल्सन कहते हैं , ‘फेसबुक, ट्विटर पर जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल हो रहा है, इससे हमारी नई पीढ़ी के भाषा व्यवहार और भारत में इस्तेमाल की जाने वाली सभी भाषाओं के व्याकरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.’ अगर देखा जाए तो आजकल भाषा को सही तरीके से लिखने की जगह उसे समझने के लिए आसन बनाने की कोशिशें की जा रही हैं. इमोटिकोन का बढ़ता इस्तेमाल इसका बढ़िया उदाहरण है लेकिन इससे भाषा के व्याकरण पर बुरा असर पड़ रहा है. इस बार अर्ध सत्य में इंडिया न्यूज के मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत ने इसी नए भाषा व्यवहार की पड़ताल की. पूरा कार्यक्रम देखने के लिए वीडियो पर क्लिक करें. 

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