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कंजूगल राइट्स में फिजिकल रिलेशन जरूरी नहीं, पति-पत्नी का साथ रहना अहम: दिल्ली HC

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अर्जी पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि कंजूगल राइट्स को बहाल रखने का आदेश का मतलब यह नहीं है कि पति पत्नी को सेक्सुअल रिलेशन बनाना ही पड़े, इसका मतलब दोनों का साथ में रहना होता है.

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inkhbar News
  • Last Updated: October 7, 2016 18:05:30 IST
नई दिल्ली. दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अर्जी पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि कंजूगल राइट्स को बहाल रखने का आदेश का मतलब यह नहीं है कि पति पत्नी को सेक्सुअल रिलेशन बनाना ही पड़े, इसका मतलब दोनों का साथ में रहना होता है.
 
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कोर्ट ने कहा कि कंजूगल राइट्स का मतलब पति पत्नी का साथ में रहना होता है, इसमें सेक्सुअल रिलेशन बनाना बाध्यकारी नहीं होता. कोर्ट ने एक महिला की तरफ से दाखिल की गई अर्जी पर कहा है कि अगर कपल कंजूगल राइट्स को बहाल करने के आदेश को एक साल तक नहीं मानते तो फिर यह मामला तलाक की तरफ जा सकता है.
 
कोर्ट ने कहा कि कंजूगल राइट्स को बहाल करने के आदेश का उद्देश्य यह होता है कि पति पत्नी साथ रहें और सह जीवन में रहें, अगर इस आदेश का पालन नहीं होता तो इस आधार पर तलाक की अर्जी दाखिल की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि कानूनी प्रावधान यह है कि कंजूगल राइट्स को बहाल करने का मतलब सह जीवन से है, इसका मतलब यह नहीं है कि सेक्सुअल रिलेशन बनाना बाध्यकारी है.
 
कोर्ट ने यह बात एक महिला की अर्जी पर कही है, महिला ने अपनी अर्जी में निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी. निचली अदालत ने कंजूगल राइट्स बहाल करने का आदेश दिया था. महिला ने हाई कोर्ट से कहा कि वह अपने पति के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहती. तब कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के दिमाग में गलतफहमी है, सह जीवन का यह मतलब नहीं है कि रिलेशन बनाना बाध्यकारी है.

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