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निर्भया केस: सुप्रीम कोर्ट में ऐसा क्या हुआ जो रो पड़ीं निर्भया की मां

16 दिसंबर को दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप मामले की सुनवाई के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट में निर्भया की मां तब रो पड़ीं जब वारदात के वक्त आरोपियों की तरफ से इस्तेमाल किए गए सामानों का डमी कोर्ट में पेश किया गया.

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  • Last Updated: December 3, 2016 09:57:06 IST
नई दिल्ली : 16 दिसंबर को दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप मामले की सुनवाई के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट में निर्भया की मां तब रो पड़ीं जब वारदात के वक्त आरोपियों की तरफ से इस्तेमाल किए गए सामानों का डमी कोर्ट में पेश किया गया. गैंग रेप के आरोपियों ने दरिंदगी के दौरान जो सामान इस्तेमाल किये थे, उनकी डमी को दिल्ली पुलिस ने अदालत में पेश किया था. डमी समान पर बहस शुरू ही हुई थी कि उसी वक़्त अदालत में मौजूद निर्भया की माँ का आंसू निकल आये. मामले के सुनवाई के वक्त बचाव पक्ष के वकील ये साबित करने में जुटे थे कि ये वो समान नहीं है, उन्होंने वास्तविक सामान जिसे बरामद किया गया था उसे पेश करने की मांग की. तब अदालत ने सामान के डमी को अदालत से हटाने को कहा और साथ ही बचाव पक्ष की उस दलील को भी ठुकरा दिया जिसमें उन्होंने वास्तविक समान पेश करने की इजाजत मांगी थी. कोर्ट ने कहा हमने इसे कभी भी अदालत में पेश करने को नहीं कहा था.
 
‘दोषी मुकेश, राम सिंह के साथ बस में नहीं था’
वहीं इस केस में एमिकस क्यूरी संजय हेगेड़े ने अदालत में कहा कि वारदात के वक्त दोषी मुकेश, मुख्य दोषी रामसिंह के साथ बस में नही था. संजय हेगड़े ने कोर्ट में बताया कि मुकेश के कॉल रिकॉर्ड के मुताबिक मुकेश ने राम सिंह को फ़ोन किया था लेकिन मोबाइल टावर के सिग्नल के मुताबिक दोनों की लोकेशन अलग-अलग थी, अगर वारदात के वक्त दोनों साथ ही थे तो टावर अलग-अलग कैसे हो सकते हैं. हेगड़े ने कोर्ट में कहा कि वारदात के दरमियान रामसिंह की मुकेश से बात भी हुई थी, लेकिन सवाल उठता है एक ही बस में दोनों के मौजूद रहते हुए, फोन पर कैसे बात हो सकती है और इसकी जरूरत क्यों पड़ी. दोनों के फोन लोकेशन के बीच की दूरी 1.8 किलोमीटर थी.
 
दिल्ली पुलिस ने खारिज किए आरोप
जिसके जवाब में दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सिद्धार्थ लूथरा ने संजय हेगेडे की दलील को ख़ारिज करते हुए कहा कि मोबाइल के सिग्नल टावर का अलग-अलग लोकेशन दिखाना ये साबित नहीं करता कि दोनों एक बस में नहीं थे. एक लोकेशन पर रहते हुए भी सिग्नल टावर अलग-अलग लोकेशन दिखा सकते हैं, दोनों के पास अलग-अलग कंपनियों के सिम थे. सिद्धार्थ लूथरा ने कहा, ‘मैं पिछले 10 सालों से लाजपत नगर में रह रहा हूं लेकिन मेरे मोबाइल का लोकेशन आर के पुरम का दिखाता है इसका मतलब मैं आर के पुरम में रहता हूं, ऐसा नहीं है. कभी-कभी ऐसा होता है की एक सिम के टावर का लोकेशन कुछ और दूसरे का कुछ और बताता है. वहीं बचाव पक्ष के वकील एम एल शर्मा ने एमिकस की बात का समर्थन किया और कहा ये पूरा मामला ही फर्जी है. जिसपर कोर्ट ने कहा आपको जो भी कहना है लिखित तौर पर कोर्ट को सौंपे.
 

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