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अगस्ता वेस्टलैंड मामले में पूर्व वायुसेना प्रमुख समेत तीन लोगों को 4 दिन की CBI रिमांड पर भेजा गया , जानिए क्या है पूरा मामला

अगस्ता वेस्टलैंड मामले में आज पूर्व वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी, गौतम खेतान और संजीव त्यागी को सीबीआई हेड क्वाटर से पटियाला हाउस हाई कोर्ट लाया गया हैं. सीबीआई के मुताबिक इस डील में 12 फीसदी की कमीशन ली गई और इस पूरे मामले में पूर्व वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी की भूमिका भी संदिग्ध है. आइए आपको बताते हैं कि अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला आखिर है क्या?

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  • Last Updated: December 10, 2016 09:42:15 IST
नई दिल्ली: अगस्ता वेस्टलैंड मामले में आज पूर्व वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी, गौतम खेतान और संजीव त्यागी को सीबीआई हेड क्वाटर से पटियाला हाउस कोर्ट लाया गया जहां से उन्हें 4 दिन की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया गया. सीबीआई ने दावा किया है कि   इस डील में 12 फीसदी की कमीशन ली गई और इस पूरे मामले में पूर्व वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी की भूमिका भी संदिग्ध है. सीबीआई ने अदालत में कहा कि एसपी त्यागी के कार्यकाल के दौरान उनके परिवार ने बड़े पैमाने पर जमीन खरीदी.
 
वहीं अपनी सफाई में पूर्व सेना प्रमुख के वकील ने कहा कि पूर्व सेना प्रमुख के खिलाफ जांच का कोई निश्चित आधार होना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि एसपी त्यागी जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं.
 
डिफेंस काउंसिल ने ये भी कहा कि वीवीआईपी लोगों के लिए हैलिकॉप्टर खरीदे जाने थे और पीएमओ के सुझाव पर ही चॉपर की क्षमता 6000 मीटर तक लाने की बात कही गई थी. उन्होंने ये भी कहा कि ये हैलिकॉप्टर आपसी सहमति से लिए गए थे. उन्होंने पूछा कि कितनी बार वीवीआईपी सियाचिन गए हैं?  आइए आपको बताते हैं कि अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला आखिर है क्या?
 
वाजपेयी सरकार के समय शुरू हुई थी प्रक्रिया
 
मामला साल 1999 का है जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार सत्ता में थी. उस समय वीवीआईपी लोगों के आने-जाने के लिए इंडियन एयरफोर्स के MI-8 हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल होता था लेकिन ये हेलिकॉप्टर पुराने हो गए थे. वाजपेयी सरकार ने इन्हें बदलने का फैसला किया और नए हैलिकॉप्टर खरीदने की प्रक्रिया शुरू की.
 
इसके बाद मार्च 2002 में हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए सरकार ने टेंडर डाला और दुनियाभर की कई कंपनियों ने टेंडर भरा लेकिन ये प्रपोजल कुछ सालों के लिए ठंडे बस्ते में चला गया.
 
डील के एक क्लॉज की वजह से  नप गए भ्रष्टाचारी
 
2004 में वाजपेयी सरकार के जाने के बाद 2005 में मनमोहन सिंह सरकार में हेलिकॉप्टर खरीदीने की प्रक्रिया फिर से शुरू हुई लेकिन इसे साल 2010 में जाके मंजूरी मिली. यूपीए कैबिनेट कमेटी 12 हेलिकॉप्टर्स लेने के लिए प्रपोजल को पास करती है. करीब 3600 करोड़ रुपये का ये पूरा सौदा होना था.
 
इसी साल यूपीए सरकार इंटीग्रेटी क्लॉज लागू करती है जिसके मुताबिक, हर रक्षा सौदे से पहले क्लॉज पर साइन किया जाना जरूरी किया गया कि अगर डील के दौरान अगर किसी मिडिलमैन का इस्तेमाल हुआ तो डील रद्द कर दी जाएगी.
 
प्रपोजल पास होने के बाद डिफेंस मिनिस्ट्री इटली की हेलिकॉप्टर कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से सौदा तय करती है. अगस्टा वेस्टलैंड ने ये कॉन्ट्रेक्ट अमेरिकी कंपनी  सिकोर्सिकी एयरक्राफ्ट समेत कई कंपनियों को पछाड़ कर हासिल किया.
 
इटली में हुआ रिश्तखोरी का पर्दाफाश
 
फरवरी 2012 में इटली की जांच एजेंसियों ने कहा, ‘अगस्टा वेस्टलैंड की पैरेंट कंपनी फिनमैकेनिका ने डील हासिल करने के लिए इंडिया के कुछ लीडर्स और अधिकारियों को रिश्वत दी. इटली के जांच अधिकारियों ने डील को गलत बताया. डील कराने में तीन दलालों के शामिल होने का पता चला. क्रिस्टियन मिशेल, गाइडो हास्चके और पीटर हुलैट.
 
इटली कोर्ट में 2012 में इस मामले को लेकर केस दर्ज किया गया. मीडिया के जरिए भारत में भी खबर आई. केंद्र में बैठी यूपीए-2 सरकार घिर गई. भारत के रक्षा मंत्रालय ने रोम में भारतीय दूतावास से रिपोर्ट मांगी.
 
375 करोड़ की रिश्वत देने का आरोप
 
इसके बाद परत दर परत पूरा मामले खुलकर सामने आने लगता है. फरवरी 2013 में अगस्टा वेस्टलैंड की पैरेंट कंपनी फिनमकेनिका के सीईओ ब्रूनो स्पैगनोलिनी को इटली की पुलिस गिरफ्तार कर लेती है. कंपनी के भारत के साथ हुए सौदे को होल्ड पर डाल दिया जाता है. कंपनी पर आरोप लगता है कि कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने के लिए करीब 375 करोड़ रुपये रिश्वत में दिए गए. यानी इसे समझें तो ये माना जा सकता है कि 12 हेलिकॉप्टर्स में से एक हेलिकॉप्टर रिश्वत में दे दिया गया.
 
कोर्डवर्ड के जरिए बांटा गया रिश्वत का पैसा?
 
2013 में ये मामला सीबीआई को सौंपा गया जिसके बाद जांच में पता चला कि कंपनी और भारत सरकार के बीच सौदा कराने के लिए दलाल कुछ कोड-वर्ड इस्तेमाल करता है, जैसे POL, AF, FAM, BUR. बताया जा रहा है कि रिश्वत की रकम इन्ही कोडवर्ड्स के जरिए लोगों में बांटी गई. एक अंदाजा ये भी है कि POL से पॉलिटिक्ल, AF से एयरफोर्स, FAM से फैनमैकेनिका और BUR से ब्यूरोक्रेट्स. यानी रिश्वत इन कोडवर्ड्स के जरिए डील में शामिल लोगों को बांटी गई.
 
घोटाले में पूर्व वायुसेना प्रमुख समेत 11 लोगों का नाम
 
सीबीआई 11 लोगों के खिलाफ जांच शुरू करती है. इसमें पूर्व इंडियन एयरफोर्स चीफ एसपी त्यागी भी जांच के दायरे में आते हैं. त्यागी समेत 12 के खिलाफ एफआईआर दर्ज होती है. उधर सरकार 2014 में इस सौदे को रद्द करने की घोषणा कर देती है.

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