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सर्विस चार्ज नहीं देना चाहते, तो खाना भी न खाएं: नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन

केंद्र सरकार की सोमवार को सर्विस चार्ज पर की गई घोषणा के बाद नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एनआरएआई) ने इसका विरोध किया है. एसोसिएशन का कहना है कि अगर ग्राहक सर्विस चार्ज नहीं देना चाहते, तो वे रेस्टोरेंट में खाना भी न खाएं.

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  • Last Updated: January 3, 2017 14:00:19 IST
नई दिल्ली : केंद्र सरकार की सोमवार को सर्विस चार्ज पर की गई घोषणा के बाद नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एनआरएआई) ने इसका विरोध किया है. एसोसिएशन का कहना है कि अगर ग्राहक सर्विस चार्ज नहीं देना चाहते, तो वे रेस्टोरेंट में खाना भी न खाएं.
 
सरकार ने पहले भी संसद में यह स्पष्ट किया था कि ग्राहक की जानकारी और स्वीकृति के बिना सर्विस चार्ज लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. देशभर के तमाम रेस्टोरेंट्स का प्रतिनिधित्व करने वाली एसोसिशन ने साफ किया है कि रेस्टोरेंट्स द्वारा लगाया जाने वाला सर्विस चार्ज पूरी तरह से उपभोक्ता कानून के तहत है, जब तक कि रेस्टोरेंट ग्राहक से अनुचित चार्ज नहीं वसूलता. 
 
मैन्यू कार्ड पर मौजूद होता है सर्विस चार्ज
बता दें कि सरकार ने सोमवार को यह घोषणा की थी कि रेस्टोरेंट और होटलों में लिया जाने वाला सर्विस चार्ज अनिवार्य नहीं वैकल्पिक होगा. ग्राहक अगर स्वेच्छा से सर्विस चार्ज देना चाहें तो ही उससे लिया जा सकता है. उपभोक्ता मामलों के विभाग ने नोटिफिकेशन के जरिए होटलों और रेस्टोरेंट मालिकों को आदेश दिया है कि उन्हें अपने होटल और रेस्टोरेंट में बिलिंग काउंटर पर इसे जुड़ा नोटिस लगाने का भी निर्देश दिया है. 
 
वहीं, एसोसिएशन का यह भी कहना है कि उपभोक्ता कानून के तहत रेस्टोरेंट का ग्राहकों से गलत सर्विस चार्ज वसूलना गलत है. लेकिन, आमतौर पर मेन्यू कार्ड पर सर्विस चार्ज साफ तौर पर लिखा होता है. एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि इस चार्ज को बराबर से सर्विस स्टाफ में बांटा जाता है. 
 
उपभोक्ताओं से मिली थी शिकायत
उनका कहना है कि यह उस बिल का ही हिस्सा होता है, जिस पर रेस्टोरेंट वैट और कर्मचारी आयकर चुकाता है. अध्यक्ष यह भी मानना है कि सर्विस चार्ज लेने से कैश टिप के प्रचलन पर भी रोक लगती है. वहीं, कुछ होटल मालिकों ने कहा कि इससे कीमतें बदल सकती हैं क्योंकि यह स्टाफ को पुरस्कृत करने का एक तरीका है. वहीं, फाइव स्टार होटलों को इससे खास परेशानी नहीं है.  
 
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का कहना है कि यह कदम उपभोक्ताओं से मिली शिकायतों के बाद उठाया गया है. शिकायतों में यह कहा गया था कि उनसे जबरन सर्विस चार्ज वूसला जा रहा है. सर्विस चाहे जैसी भी हो लेकिन उन्हें 5 से 20 प्रतिशत चार्ज देना ही पड़ता है. 

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