Inkhabar
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • संघ के दो संगठनों के निशाने पर है चीन, इंद्रेश कुमार और गुरुमूर्ति के डायरेक्शन में हो रही घेरने की तैयारी

संघ के दो संगठनों के निशाने पर है चीन, इंद्रेश कुमार और गुरुमूर्ति के डायरेक्शन में हो रही घेरने की तैयारी

भारत सरकार से चीन का मामला भले ही दलाई लामा यात्रा विवाद के बाद अभी ठंडा चल रहा है, लेकिन आरएसएस से जुड़े दो संगठनों ने अपने तेवर चीन को लेकर कुछ ज्यादा ही सख्त कर लिए हैं.

RSS, BTCM,China,Swadeshi Jagran Manch,  Indo Tibetan Cooperation Forum,Bhagat Singh Koshyari,hindi news, india news
inkhbar News
  • Last Updated: May 20, 2017 15:25:57 IST
नई दिल्ली: भारत सरकार से चीन का मामला भले ही दलाई लामा यात्रा विवाद के बाद अभी ठंडा चल रहा है, लेकिन आरएसएस से जुड़े दो संगठनों ने अपने तेवर चीन को लेकर कुछ ज्यादा ही सख्त कर लिए हैं.
 
जिनमें से एक तो सबको पता है स्वदेशी जागरण मंच और दूसरा हाल ही में बड़ी तेजी से सक्रिय हुआ है, जिसका नाम है भारत-तिब्बत सहयोग मंच (बीटीसीएम). बड़ी तेजी से हर जिले में और यहां तक कस्बा लेवल तक इस संगठन की इकाई खड़ी कर दी गई है. स्वदेशी जागरण मंच पर तो और भी मुद्दे हैं लेकिन इस संगठन बीटीसीएम पर तो चीन और तिब्बत के अलावा और कोई मुद्दा ही नहीं है.
 
आज से गोवाहाटी में स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय परिषद की मीटिंग शुरू हो गई है, इसमें जो प्रमुख मुद्दे हैं जिन पर प्रस्ताव आने हैं उनमें बिल गेट्स फाउंडेशन, पब्लिक हैल्थ और जीएम मस्टर्ड के साथ साथ बायकॉट चाइना भी है.
 
स्वदेशी जागरण मंच और भारत तिब्बत सहयोग मंच ने सीधी रणनीति अपनाई है कि जैसे ही चीन भारत के किसी मामने में नाजायज दखल देता है, वो चीन के सामानों की बिक्री वाले मैसेज सारे ह्वाट्स एप्प ग्रुप्स और सोशल मीडिया एकाउंट्स पर डालना शुरू कर देते हैं. पिछली दीवाली पर चीन की कंपनियां करोड़ों के नुकसान के साथ इसे भुगत भी चुकी हैं. हाल ही में जब चीन ने दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा पर बयानबाजी की और अरुणाचल के इलाकों के नाम बदले तब भी ये कैम्पेन उग्र हो गया था.
 
दिलचस्प बात ये है कि इन दोनों संगठनों को संघ के दो बड़े पुरोधा मेंटर या संरक्षक के तौर पर देख रहे हैं. स्वदेशी जागरण मंच पर एस गुरुमूर्ति जैसे दिग्गज का हाथ है तो इंद्रेश कुमार राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के साथ साथ बीटीसीएम को भी देख रहे हैं. बीटीसीएम को वैसे भी खाली बैन या बायकॉट के फील्ड में ही काम नहीं करना है, वो इस मुद्दे को सांस्कृतिक तरीके से भी देख रहे हैं. इसलिए अमरनाथ यात्रा, मानसरोवर यात्रा और तिब्बत भ्रमण जैसे कई कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं.
 
इसके अलावा आम भारतीय जनमानस में तिब्बत और चीन को लेकर जागरूकता भी बढ़ाई जा रही है. हालांकि इस संगठन को शुरू हुए कुछ ही साल हुए हैं, लेकिन ये संगठन बडी तेजी से आगे बढ़ रहा है.  
 
इस साल भी संगठन के विस्तार, गति और समीक्षा के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 8 और 9  जुलाई को आगरा में रखी गई है. इस बैठक में इंद्रेश कुमार के साथ साथ भगत सिंह कोश्यारी भी हिस्सा लेंगे और आगे की रणनीति बनाएंगे. इस बैठक में सभी प्रांतों से उनके साल भर के कार्यक्रमों का लेखा जोखा लिया जाएगा और आगे की योजनाओं पर चर्चा होगी.
 
आम तौर पर भारत सरकार तिब्बत को चीन के अंग के रूप में स्वीकार करती आई है, लेकिन संघ का ये संगठन सरकार के इस रुख से जुदा ख्याल रखता है, ना केवल तिब्बतियों की मदद की बात की जाती है बल्कि तिब्बत की आजादी की मांग भी उठाई जाती है. ऐसे में कल को इस संगठन और सरकार के बीच तकरार होनी स्वाभाविक है.
 

Tags