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सेना की बड़ी कामयाबी, सबजार भट के जनाजे में दिखे इस आतंकी ने किया सरेंडर

कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर सबजार भट के अंतिम संस्कार के वक्त भीड़ में दिखे आतंकी दानिश अहमद ने 21 राजपूताना राइफल्स और हंदवाड़ा पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है. दानिश ने पुलिस को बताया कि वह सोशल मीडिया पर दक्षिण कश्मीर के आतंकियों से संपर्क में था

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  • Last Updated: June 7, 2017 14:51:10 IST
श्रीनगर: कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर सबजार भट के अंतिम संस्कार के वक्त भीड़ में दिखे आतंकी दानिश अहमद ने 21 राजपूताना राइफल्स और हंदवाड़ा पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है. दानिश ने पुलिस को बताया कि वह सोशल मीडिया पर दक्षिण कश्मीर के आतंकियों से संपर्क में था और उन्हीं के जोर देने पर वह हिजबुल से जुड़ा था.
 
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि हंदवाड़ा के कुलगाम में रहने वाले फारूक अहमद के बेटे दानिश अहमद के रूप में की गई है और वह कश्मीर के हंदवाड़ा का रहने वाला है. कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर प्रसारित हुए एक वीडियो में दिखा कि एक आतंकी जंगी पाउच पहना हुआ है और उसके पास एक हथगोला है. यह वीडियो भट के जनाजे के दौरान स्थानीय पत्रकार ने शूट किया था.
 

पुलिस ने बताया कि दानिश, देहरादनू स्थित पीजी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी में बीएससी (तीसरे साल) की पढ़ाई कर रहा था. पुलिस ने साथ ही बताया कि साल 2016 में हंदवाड़ा में हुए पथराव की घटनाओं में दानिश को शामिल पाया गया था. पुलिस ने तब उसे पकड़ा भी था, लेकिन उसके करियर को देखते हुए उसे काउंसलिंग के बाद छोड़ दिया गया था.
 
 
दानिश आतकंवादियों से जुड़ गया है, जब ये बात सुरक्षा एजेंसियों को पता चली, तब हंदवाड़ा पुलिस ने उसके माता-पिता से संपर्क किया और उन्हें दानिश को समर्पण के लिए राजी करने को कहा. दानिश के माता-पिता को बताया गया कि अगर वह सरेंडक करता है, तो उसके साथ नरम बरती जाएगी. सुरक्षाबलों की इन कोशिशों का ही नतीजा था कि अहमद ने खुद आकर सरेंडर कर दिया.
 
 
दानिश ने बताया कि मुझे ऐहसास हुआ कि हिजबुल का काम बस गुमराह करना है इसलिए मैंने सरेंडर करने का फैसला किया. बता दें कि सेना ने 27 मई को हिजबुल कमांडर सबजार को मार गिराया था. रिपोर्ट्स है कि सबजार अहमद हिजबुल कमांडर बुरहान वानी का करीबी था. बुरहान वानी के बाद से सबजार ही दक्षिणी कश्मीर में काफी सक्रिय हो चुका था. सबजार के ऊपर दस लाख का ईनाम भी रखा गया था.

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