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RSS के मुखपत्रों के संपादकों से उपराष्ट्रपति ने कहा, मैं तो पहले से ही पांचजन्य, ऑर्गनाइजर पढ़ता हूं

आरएसएस यूं तो कई पत्र-पत्रिकाएं अपने विभिन्न संगठनों के जरिए छापता है, लेकिन मुखपत्र के रूम में दो ही जाने पहचाने जाते हैं, हिंदी में पांचजन्य और अंग्रेजी में ऑर्गनाइजर. आजकल इन दोनों ही अखबारों का बड़े जोर शोर से देश भर में सब्सक्रिप्शन अभियान चल रहा है.

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  • Last Updated: June 15, 2017 08:37:08 IST
नई दिल्ली: आरएसएस यूं तो कई पत्र-पत्रिकाएं अपने विभिन्न संगठनों के जरिए छापता है, लेकिन मुखपत्र के रूम में दो ही जाने पहचाने जाते हैं, हिंदी में पांचजन्य और अंग्रेजी में ऑर्गनाइजर. आजकल इन दोनों ही अखबारों का बड़े जोर शोर से देश भर में सब्सक्रिप्शन अभियान चल रहा है. 
 
ऐसे में अलग अलग क्षेत्र के नामी चेहरों से इन अखबारों से जुड़े लोग और संघ के पदाधिकारी खुद मिल रहे हैं और उनसे सालाना सब्सक्रिप्शन का चैक ले रहे हैं. इसी कड़ी में दोनों मुखपत्रों के संपादकों और दिल्ली प्रांत के संघ पदाधिकारियों ने उपराष्ट्रपति हामिद अली अंसारी से भी मुलाकात की, लेकिन उपराष्ट्रपति ने उनको अपने जवाब से लाजवाब कर दिया. सब्सक्रिप्शन ना लेने के बावजूद वो वहां से खुशी खुशी वापस हुए.
 
दरअसल पांचजन्य और ऑर्गनाइजर के सम्पादकों ने उपराष्ट्रपति से मिलने का वक्त मांगा था. तय समय पर चार लोग मिलने भी जा पहुंचे. इनमें संघ के दिल्ली प्रांत संघचालक कुलभूषण आहूजा और प्रांत प्रचार प्रमुख राजीव तुली आरएसएस से थे, ऑर्गनाइजर के सम्पादक प्रफुल्ल केतकर थे और पांचजन्य के सम्पादक हितेश शंकर थे.
 
सभी लोगों ने अपने इस अभियान के बारे में उपराष्ट्रपति को पूरी जानकारी दी, दोनों अखबारों के बारे में बताया और उनसे दोनों अखबारों का सब्सक्रिप्शन लेने की भी गुजारिश की.  उपराष्ट्रपति हामिद अली अंसारी को दोनों अखबारों के सम्पादकों ने पांचजन्य और ऑर्गनाइजर की कुछ प्रतियां भी भेंट कीं.
 
संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख राजीव तुली ने इस बारे में ‘इन खबर’ को बताया कि, ‘’उपराष्ट्रपति ही नहीं हम समाज के सभी गणमान्य व्यक्तियों से मिल रहे हैं, सामूहिक अभियान में आम व्यक्तियों तक भी पहुंच रहे हैं, इसी क्रम में उनसे भी मुलाकात थी.
 
लेकिन उन्होंने हमें बताया कि वो तो पहले से ही दोनों अखबारों को पढ़ते रहे हैं और उनके यहां ये दोनों अखबार पहले से ही सब्सक्राइब्ड हैं.‘’ जाहिर था उसके बाद तो कुछ करने को बचता ही नहीं था. हालांकि उपराष्ट्रपति हामिद अली अंसारी को लेकर सोशल मीडिया पर कोई ना कोई ऐसा विवाद होता रहा है, जिसमें बीजेपी या संघ को सपोर्ट करने वाले लोग उन पर सवाल उठाते रहे हैं, ऐसे में उपराष्ट्रपति से आरएसएस के मुखपत्रों के सब्सिक्रिप्शन की ये मुलाकात चर्चा का विषय तो बनेगी ही.

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