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पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे पर देश की निगाहें, इन मुद्दों पर बात बनने की उम्मीद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के न्योते पर 25 से 27 जून तक अमेरिका की यात्रा पर जाने वाले हैं. पीएम मोदी की यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप प्रशासन में पीएम मोदी की पहली अमेरिकी यात्रा होगी. यही वजह है कि पीएम मोदी के इस दौरे पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. खास बात ये है कि इस यात्रा से काफी कुछ उम्मीदें हैं और कई सारी संभावनाएं जताई जा रही हैं.

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  • Last Updated: June 22, 2017 16:49:27 IST
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के न्योते पर 25 से 27 जून तक अमेरिका की यात्रा पर जाने वाले हैं. पीएम मोदी की यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप प्रशासन में पीएम मोदी की पहली अमेरिकी यात्रा होगी. यही वजह है कि पीएम मोदी के इस दौरे पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. खास बात ये है कि इस यात्रा से काफी कुछ उम्मीदें हैं और कई सारी संभावनाएं जताई जा रही हैं. 
 
बताया जा रहा है कि पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात 26 जून को होगी और इस बीच दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होगी. उम्मीद जताई जा रही है कि पीएम मोदी के इस अमेरिकी दौरे से दोनों देशों के संबंधों में एक नई ऊंचाई और एक नया आयाम देखने को मिलेगा. बता दें कि इस ऐतिहासिक मुलाकात से पहले ट्रंप और पीएम मोदी में तीन बार फोन पर बातचीत हो चुकी है. 
 
 
इसलिए राजनीतिक पंडित पीएम मोदी के इस अमेरिकी दौरे को ऐतिहासिक मान रहे हैं और इस दौरे से काफी कुछ उम्मीदें भी जताई जा रही है. तो चलिए जानते हैं कि पीएम मोदी और ट्रंप के बीच किन-किन मुद्दों पर बातचीत हो सकती है और किस तरह के समझौते होने की उम्मीद है.
 
H-1बी वीजा
अभी तक H-1बी वीजा को लेकर ट्रंप प्रशासन की सख्ती देखने को मिली है. ट्रंप प्रशासन के इस रूक ने भारत सहित दुनिया कई देशों को सकते में डाल दिया है. H-1बी वीजा के मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन की सख्ती और नए नियम-कानून से भारत को काफी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि पीएम मोदी डोनाल्ड ट्रंप के साथ इस मुद्दे को उठाकर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करेंगे, ताकि भारतीय प्रतिभा को ज्यादा नुकसान न झेलना पड़े. 
 
पेरिस जलवायु समझौता 
ये बात सही है कि पेरिस जलवायु समझौते को मानने से ट्रंप प्रशासन ने साफ तौर पर इनकार कर दिया है, यही वजह है कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में थोड़ी सी तल्खी देखने को मिल रही है. मगर पीएम मोदी की ये कोशिश होगी कि किसी तरह अमेरिका को इसके लिए मनाया जाए और पेरिस जलवायु समझौते पर किसी तरह की सहमति बन जाए. हालांकि, अमेरिका के इस समझौते से हटने के बाद भी भारत पूरी तरह से इस मामले पर अड़ा हुआ है. पेरिस समझौते से अमेरिका के हटने पर ग्लोबल लेवल पर इसका असर हो सकता है और ये बात पीएम मोदी भी अच्छी तरह से जानते हैं. इसलिए पीएम मोदी की ये कोशिश होगी कि डोनाल्ड ट्रंप को किसी तरह इसके लिए मना लिया जाए. 
 
 
परमाणु समझौता
पीएम मोदी का अमेरिका दौरा इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि इस दौरे पर परमाणु रियेक्टर को लेकर समझौते की उम्मीद जताई जा रही है. संभावना ये जताई जा रही है कि आंध्र प्रदेश में छह परमाणु रिएक्टर बनाए जाने को लेकर न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआइएल) और अमेरिकी कंपनी वेस्टिंगहाउस के बीच समझौते पर दस्तखत होंगे. हालांकि, इस समझौते पर संशय के बादल भी इसलिए मंडरा रहे हैं क्योंकि अभी अमेरिकी कंपनी वेस्टिंगहाउस फिनांसियल संकट का सामना कर रही है. 
 
एनएसजी में भारत की एंट्री
परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह यानी कि NSG में शामिल होने के लिए भारत कई वर्षों से कवायद कर रहा है. मगर लगातार प्रयास करने के बाद भी भारत को इसमें शामिल होने की कामयाबी नहीं मिल पा रही है. जब भी भारत को इस समूह में शामिल करने की बात आती है, तब-तब चीन किसी न किसी तरह से अड़ंगा लगा ही देता है. हालांकि, ये बात सही है कि एनएसजी में अमेरिका भारत का समर्थन करता रहा है. पीएम मोदी की कोशिश होगी कि जिस तरह से एनएसजी के मुद्दे पर बराक ओबामा भारत के लिए रुख रका करते थे, ठीक उसी तरह इस मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप समर्थन करते रहेंगे. 
 
आतंकवाद 
पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से भारत काफी परेशान रहा है. पाकिस्तानी सीमा पर लगातार हो रहे आतंकवादी गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए एक बार पीएम मोदी अमेरिका के सामने इस बात को जरूर रखेंगे. ध्यान देने वाली बात ये है कि आतंकवाद के मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन का रुख भी काफी कड़ा ही देखने को मिला है. पाकिस्तान से जारी आतंकवाद कई देशों को प्रभावित कर रहा है. यह भारत की प्रमुख चिंता है, जिसे भारत सभी हर वैश्विक मंच पर उठाते रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी जब डोनाल्ड ट्रंप से मिलेंगे तो सीमा पार से आतंकवाद से कैसे निपटा जाए इस पर कुछ तार्किक बातचीत जरूर करेंगे. 
 
 
दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता
 
भारत तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है. इस लिहाज से अमेरिका के साथ इसका व्यापार समझौता काफी मायने रखता है. भारत एक ओर जहां, अमेरिकी उत्पादों और सेवाओं का बड़ा बाजार है, वहीं भारत अमेरिका से व्यापार और निवेश का बड़ा लाभ उठा सकता है. अगर बीते कुछ समय से देखा जाए तो ट्रंप प्रशासन का भारत के साथ व्यापार समझौते को लेकर सकारात्मक रुख देखने को मिले हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि इस दौरे पर फॉसिस फ्यूल जैसे मुद्दों पर भी बातचीत होगी. इसके अलावा रक्षा के मुद्दे पर भी बात होगी. 
 
अब देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से भारत को किस तरह के फायदे होते हैं और दोनों देशों के बीच के संबंध में किस तरह से एक नया मोड़ सामने आता है. 

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