Inkhabar
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • भारत-चीन नहीं, ये विदेशी एजेंसियां चाहती हैं आपस में टकराएं दोनों देश

भारत-चीन नहीं, ये विदेशी एजेंसियां चाहती हैं आपस में टकराएं दोनों देश

बॉर्डर पर तनाव है आप ये तो जानते हैं, भारत युद्ध नहीं चाहता और चीन उकसा रहा है. दुनिया के बड़े बड़े युद्ध सिर्फ वहां की सरकारों और राजनीतिक हालातों का नतीजा भर नहीं थे, बल्कि इन घोस्ट लॉबी का भी किरदार रहा है. उनमें हांलाकि फिलहाल के लिए इतना तो जान लीजिए कि वो पाकिस्तान नहीं है जिसका हम ज़िक्र कर रहे हैं

India, China, Arun Jaitley, pakistan, CPEC, Indian Army, McMahon Line, Sikkim sector, Sino-India frontier, Nathu La, Kailash Mansovar yatra, LAC, Sikkim-Bhutan-Tibet, Indian bunkers, Narendra Modi, Donald Trump, xi jinping, India News
inkhbar News
  • Last Updated: July 6, 2017 17:19:13 IST
नई दिल्ली: बॉर्डर पर तनाव है आप ये तो जानते हैं, भारत युद्ध नहीं चाहता और चीन उकसा रहा है. दुनिया के बड़े बड़े युद्ध सिर्फ वहां की सरकारों और राजनीतिक हालातों का नतीजा भर नहीं थे, बल्कि इन घोस्ट लॉबी का भी किरदार रहा है. उनमें हांलाकि फिलहाल के लिए इतना तो जान लीजिए कि वो पाकिस्तान नहीं है जिसका हम ज़िक्र कर रहे हैं लेकिन वो ऐसे हैं जिनकी पहुंच कमोबेश हर देश में है और उनका प्रभाव कमोबेश हर सरकार पर होता है.
 
चीन बॉर्डर पर युद्ध जैसे हालात का ख़ौफ लगातार बढ़ता जा रहा है. कुछ वीडियो जो चीन के इलाके से सामने आ रहे हैं उसे देखकर ये आशंका जताई जा रही है कि चीन बातचीत या कूटनीतिक तरीके से मामले का हल नहीं चाहता. क्योंकि वो लगातार बॉर्डर के पीछे से अपनी सेना आगे ला रहा है.
 
पहले उसने Xinqingtan टैंक से तिब्बत में युद्धाभ्यास किया था. अब उसने 96B टैंक भेजे हैं. उसके सैनिकों की टुकड़ी 5 हजार फीट ऊपर पहाड़ी इलाके में युद्धाभ्यास कर रही है. चीन की 141 वीं बटालियन आगे की तरफ बढ़ती जा रही है.
 
 
कूटनीतिक जानकार कह रहे हैं कि चीन युद्ध नहीं बल्कि युद्ध की धमकी से डराने वाली पॉलिसी पर काम कर रहा है और रही बात भारत की तो वो अपनी तरफ से कोई युद्ध नहीं चाहता. अब सवाल ये है कि फिर ये तीसरा कौन है जो चाहता है कि चीन-हिन्दुस्तान का बॉर्डर सुलग जाए. ये पाकिस्तान नहीं है जैसा अचानक हमारे-आपके दिमाग में आ जाता है. 
 
दरअसल दुनिया की कुछ बड़ी आर्म्स लॉबी और कुछ देशों की बिजनेस लॉबी चाहती है कि चीन-भारत के बीच झड़प हो, युद्ध जैसे हालात हों. ताकि उनके मंद पड़े धंधे को खाद-पानी मिले. क्योंकि इस वक्त युद्ध से न चीन को फायदा है न भारत को, न भूटान को. जिसकी जमीन पर सैन्य टकराव की आशंका को चीन बढ़ा रहा है.
 
घोस्ट लॉबी यानि न दिखने वाली वो जमात या ताकत जो पर्दे के पीछे से सरकारों को प्रभावित करती है. मीडिया रिपोर्ट्स को प्रभावित करती हैं कई बार रिसर्च को प्रभावित करती है और उनके ज़रिए सरकारों की रणनीति और लोगों की सोच को प्रभावित करती है. इस घोस्ट लॉबी के दो अहम हिस्से हैं आर्म्स लॉबी और बिज़नेस लॉबी.
 
 
आर्म्स लॉबी वो जो हथियार बेचती है करोड़ों-अरबों के हथियार और किसी भी तरह का सीमा विवाद या युद्ध के हालात का मतलब होता है इनकी चांदी होना. इनपर पैसे की बरसात होना क्योंकि युद्ध बिना हथियारों के नहीं लड़े जाते और जितना तनाव बढ़ता है, देश अपनी तैयारी भी उतनी ही बढ़ाते हैं यानि हथियार खरीदने की होड़. 
 
1962 में हम सिक्किम बॉर्डर पर चीन से हार गए थे, क्योंकि हमने गोला-बारूद, टैंक और युद्ध के दूसरे साजो सामान पर काम करना शुरू ही किया था. जबकि साम्यवाद की अगुवाई में चीनी सेना मजबूत हो चुकी थी. हमने पंचशील का पाठ पढ़ाया बदले में चीन ने हमारी पीठ में हिंदी-चीनी भाई-भाई बोलकर छूरा घोंपा लेकिन इस लड़ाई के बाद भारत के रक्षा बजट में सिर्फ अगले साल ही 50 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई. 1962 में भारत का रक्षा बजट 309 करोड़ रुपय का था . 1962-63 में ये बढ़कर 473 करोड़ हो गया और सिर्फ 10 सालों में 1971-72 में ये 1525 करोड़ का था.
 
आज ये पौने तीन लाख करोड़ रुपय का है. इस बीच में जो हथियार खरीदे गए. उसमें रूस, फ्रांस, अमेरिका, इजरायल , स्वीडन, इटली और ब्रिटेन जैसे दूसरे यूरोपीय देशों से लिए गए. कुछ ऐसा ही चीन के साथ भी हुआ. उसका रक्षा बजट जो 1962 में भारत के रक्षा बजट से करीब 40% ज्यादा था. आज वो बढ़कर दुनिया में दूसरे नंबर पर जा पहुंचा है.
 
मतलब अमेरिका के बाद चीन ही अपने रक्षा बजट पर इतना खर्च करता है. वैसे आज भारत के मुकाबले उसका रक्षा बजट तीन गुना है. 62 के बाद उसने भी जो हथियार खरीदे उसमें रूस, इजराइल, अमेरिका, और यूरोपीय देशों से ही खरीदे.
 
 
रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए इन दोनों देशों को अपनी उन जरूरतों का गला लंबे समय तक घोंटना पड़ा जिसमें आम लोगों के लिए स्कूल, कॉलेज,अस्पताल खोले जाने थे. वैसे 1994 के बाद भारी निवेश के साथ चीन ने तेजी से खुद की आर्म्स इंडस्ट्री खड़ी की और हथियारों की बड़ी खेप धीरे-धीरे खुद तैयार करने लगा.
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

Tags