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अयोध्या विवाद मामले पर 7 साल बाद शुक्रवार से सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

अयोध्या के राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. इस मामले से जुड़े पक्षकारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. सात साल बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करने जा रहा है.

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  • Last Updated: August 10, 2017 14:18:39 IST
नई दिल्ली. अयोध्या के राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर शुक्रवार से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. इस मामले से जुड़े पक्षकारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. सात साल बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करने जा रहा है. 
 
अयोध्या मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच दोपहर 2 बजे से सुनवाई करेगी. बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने साल 2010 में विवादित स्थल के 2.77 एकड़ क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर हिस्से में विभाजित करने का आदेश दिया था. 
 
कुछ महीने पर पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का अदालत से बाहर समाधान निकालने की संभावना तलाशने के लिए कहा था. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसे धर्म और आस्था से जुड़ा मामला बताते हुए पक्षकारों से आपसी बातचीत के जरिए इसका हल निकालने को कहा था.
 
 
साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो कोर्ट मध्यस्थता कर सकता है. इसे लेकर पक्षकारों की ओर से प्रयास किए गए लेकिन समाधान नहीं निकल सका. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट को मेरिट के आधार पर इस विवाद का निपटारा करना है. 
 
पिछले कुछ समय से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर नेताओं के बयान आ रहे हैं. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूजा-अर्चना के लिए अयोध्या गए थे और वहां उन्होंने अदालत के बाहर इसके समाधान की वकालत की थी.
 
बता दें कि बाबरी मस्जिद के स्वामित्व की कानूनी लड़ाई हारने के सात दशक बाद शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. शिया वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद पर अपनी दावेदारी जताते हुए यह भी कहा कि मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाया गया था. सुप्रीम कोर्ट शिया वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुनवाई करेगा.
 
 
इससे पहले अपनी याचिका में बोर्ड ने यह कहा है कि बाबरी मस्जिद मुगल राजा बाबर ने नहीं बल्कि उनके मंत्री अब्दुल मीर बाकी ने बनवाया था. बोर्ड का यह भी कहना है कि मीर बाकी ने अपने पैसे से इसका निर्माण कराया था और मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था.
 
चूंकि मीर बाकी शिया मुसलमान था लिहाजा यह शिया वक्फ की संपत्ति है. याचिका में कहा गया है कि निचली अदालत का यह आदेश गलत है जिसमें बाबरी मस्जिद को शिया वक्फ की संपत्ति मानने से इनकार कर दिया गया था. 

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