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इन पांच डायरियों से खुली कश्मीरी अलगाववादियों की पोल, पाकिस्तान से ऐसे मिलता था पैसा

कश्मीर घाटी में हिंसा फैलाने वालों को NIA ने करारा झटका दिया है. टेरर फंडिंग के आरोप में उसने कश्मीर के जाने-माने कारोबारी जहूर वटाली को गिरफ्तार कर लिया है. गुरुवार को श्रीनगर से गिरफ्तार वटाली को आज दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया. कोर्ट ने उसे 10 दिन की NIA की रिमांड में भेज दिया.

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  • Last Updated: August 18, 2017 17:55:50 IST
नई दिल्ली: कश्मीर घाटी में हिंसा फैलाने वालों को NIA ने करारा झटका दिया है. टेरर फंडिंग के आरोप में उसने कश्मीर के जाने-माने कारोबारी जहूर वटाली को गिरफ्तार कर लिया है. गुरुवार को श्रीनगर से गिरफ्तार वटाली को आज दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया. कोर्ट ने उसे 10 दिन की NIA की रिमांड में भेज दिया. सिर झुकाकर पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी के लिए जाते वटाली गद्दार को NIA ने पाकिस्तान का पैसा कश्मीर के आतंकियों और पत्थरबाजों तक पहुंचाने के इल्ज़ाम में गिरफ्तार किया है. ये कश्मीर का बड़ा कारोबारी और अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का करीबी है. इसे हुर्रियत का फाइनेंसर भी कहा जाता है.
 
NIA का दावा है कि वटाली के जरिए ही कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए आतंकियों, पत्थरबाजों और अलगाववादियों को फंडिंग की जा रही थी. दो दिन पहले ही एनआईए ने कश्मीर घाटी में वटाली के तमाम ठिकानों और रिश्तेदारों के घरों पर छापेमारी की थी. छापेमारी में टेरर फंडिंग से जुड़े कई दस्तावेज मिले थे. हाल ही में गिरफ्तार किए गए 7 अलगाववादी नेताओं ने भी NIA को वटाली के कई राज बताए थे. वटाली का भेद पांच डायरियों ने खोल कर रख दिया है. बताया जा रहा है कि इन डायरियों से NIA को जानकारियों का खजाना हाथ लग गया. ये डायरियां बुधवार को NIA की रेड के दौरान वटाली के कैशियर गुलाम मोहम्मद बट के घर से मिली. NIA सूत्रों के मुताबिक ये डायरियां जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग की बैलेंस शीट जैसी हैं.
 
इनमें ऐसी जानकारी है कि बरसों से कैश, हवाला या दूसरे ट्रांसफर के ज़रिए किस तरह वटाली को पैसे मिले और बाद में उसने ये पैसे दूसरों को दिए. वटाली का कारोबार कश्मीर से दुबई और यूरोप तक फैला है. उसकी कई कंस्ट्रक्शन और ट्रेडिंग कंपनियां हैं. वटाली पर आरोप है कि उसने इन कंपनियों का इस्तेमाल फंड हासिल करने के लिए फ्रंट के तौर पर किया. अब NIA जल्द ही सबसे बड़े अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को तलब कर सकती है. दरअसल, टेरर फंडिंग का पूरा खेल ISI खेलता है. इसमें वटाली जैसे कारोबारी अहम कड़ी हैं लेकिन पूरा नेटवर्क काफी लंबा-चौड़ा है. अब तक की जांच के मुताबिक ISI ने टेरर फंडिंग के लिए 200 करोड़ रुपए का सालाना बजट तय कर रखा है. जांच एजेंसियों के मुताबिक पाक खुफिया एजेंसी ISI कश्मीर में टेरर फंडिंग के लिए पाकिस्तान से रुपया दुबई और सऊदी अरब भेजती है. यहां से ये पैसा बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों में पहुंचता है. इसके बाद दिल्ली और श्रीनगर की अलग-अलग कंपनियों में ये पैसा मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए पहुंचता है. इन कंपनियों से जुड़े लोग इस पैसे को कश्मीर में हुर्रियत के नेताओं तक पहुंचाते हैं. इसके बाद हुर्रियत के नेता इस पैसे को पत्थरबाज़ और आतंकियों तक पहुंचा देते हैं. NIA सूत्रों के मुताबिक वटाली टेरर फंडिंग के लिए 9 परसेंट की कमीशन लेता था यानी 10 लाख रुपए पर उसकी कमीशन 90 हजार रुपए बनती थी. 
 

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