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भारत के जवानों के लिए अब ‘भाभा कवच’, गोली-गोला-ग्रेनेड से प्रूफ हुए जवान

रक्षा मंत्री और गृह मंत्री के सामने आज DRDO और कुछ दूसरी प्राइवेट कंपनियों की साझा कोशिश से कई तरह के ऐसे हथियार सामने लाए गए. जिन्हें अर्धसैनिक बलों के बेड़े में शामिल किया जाना है. हम आपको एक-एक कर ऐसे हथियारों के बारे में दिखा रहे हैं जिसे भाभा कवच कहा जा रहा है.

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  • Last Updated: September 7, 2017 18:10:01 IST
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री और गृह मंत्री के सामने आज DRDO और कुछ दूसरी प्राइवेट कंपनियों की साझा कोशिश से कई तरह के ऐसे हथियार सामने लाए गए. जिन्हें अर्धसैनिक बलों के बेड़े में शामिल किया जाना है. हम आपको एक-एक कर ऐसे हथियारों के बारे में दिखा रहे हैं जिसे भाभा कवच कहा जा रहा है. 
 
हिन्दुस्तान में नक्सलियों और आतंकवादियों के खिलाफ होने वाले ऑपरेशन के दौरान कई बार ऐसा होता है कि कई बार अर्धसैनिक बलों की बसें या दूसरी गाड़ियां इस तरह के ब्लास्ट का शिकार होती है. जंगलों में छिपे आतंकवादी या नक्सली हमारे जवानों को ऐसे समय में अपनी निर्मम गोलियों का शिकार बना डालते हैं.
 
हिन्दुस्तान में ज्यादातर मौकों पर अर्धसैनिक बलों के जवान बिना लड़े इन्हीं वजहों से शहीद हो जाते हैं. क्योंकि पारा मिलिट्री  के पास मजबूत एंटी लैंडमाइन व्हीकल नहीं. ऐसी आधुनिक बसें नहीं. आधुनिक बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं. वो जैकेट जो उन्हें 360 डिग्री का प्रोटेक्शन दे सके लेकिन DRDO यानी डिफेंस रिसर्च एंड डिवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने अब इस बड़ी समस्या का हल निकाल लिया है.
 
पिछले करीब 20 सालों से अर्धसैनिक बलों के सामने कई तरह की चुनौतियां इस देश में हैं. नक्सली, उग्रवादी और देश के अंदर छिपे आतंकवादी इन तीनों को ख़त्म करने का जिम्मा जिस फोर्स पर है. कई जवान शहीद हुए हैं. 20 सालों में पारा मिलिट्री के 2700 जवान अलग-अलग ऑपरेशन में शहीद हुए. इनमें से आधे से अधिक जवान दुश्मन से सीधा मुकाबला नहीं कर पाए.
 
पिछले करीब 20 सालों से अर्धसैनिक बलों के सामने कई तरह की चुनौतियां इस देश में हैं. नक्सली, उग्रवादी और देश के अंदर छिपे आतंकवादी इन तीनों को ख़त्म करने का जिम्मा जिस फोर्स पर है. कई जवान शहीद हुए हैं. 20 सालों में पारा मिलिट्री के 2700 जवान अलग-अलग ऑपरेशन में शहीद हुए. इनमें से आधे से अधिक जवान दुश्मन से सीधा मुकाबला नहीं कर पाए.
 
सुकना में हाल ही में जब सीआरपीएफ की एक पूरी टुकड़ी नक्सलियों के चक्रव्यूह में फंस गई. उसके कुछ दिनों बाद एक वीडियो सामने आया. जिसमें ये साफ-साफ दिख रहा था कि नक्सली जवानों पर हमले के बाद कैसे अलग-अलग ग्रुप बनाकर मौके से निकल गए.
 
सेना के जवानों के लिए बॉर्डर पर एक बड़े हिस्से में ये संभव है लेकिन पारा मिलिट्री के जवानों को अभी तक ऐसी सुविधा मामूली तौर पर दी गई है लेकिन अब उन्हें भी लाइट वेट यानी बेहद हल्के यूएवी यानी अनमैन्ड एरियल व्हीकल मिलने वाले हैं. वो UAV कैसा होगा. 

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