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7 साल का प्रद्युम्न की टूटी फूटी हैंडराइटिंग में अपनी मां को आखिरी खत…

7 साल का प्रद्युम्न तो इस समाज के वहीशपन का शिकार होकर दुनिया से चला गया लेकिन पीछे छोड़ गया कुछ ऐसे सवाल जो हमारे पूरे समाज, पूरी व्यवस्था को दोषी ठहराते हैं.

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  • Last Updated: September 10, 2017 17:58:49 IST
नई दिल्ली: 7 साल का प्रद्युम्न तो इस समाज के वहीशपन का शिकार होकर दुनिया से चला गया लेकिन पीछे छोड़ गया कुछ ऐसे सवाल जो हमारे पूरे समाज, पूरी व्यवस्था को दोषी ठहराते हैं.
 
एक सात साल का बच्चा अपनी टूटी फूटी हैंडराइटिंग में अपनी मां को एक खत भी लिखता है. आखिरी खत उस पर भी करेंगे बात लेकिन उससे पहले इंडिया न्यूज़ ये खत लिख रहा है प्रद्युम्न को, आज प्रद्युम्न की मासूम अदालत में सब गुनहगार हैं.
 
प्रिय प्रद्युमन चिरायु रहो यादों में मां बाप की क्योंकि वो जगह महफूज है. इस दुनिया से चिरायु रहो उस महंगे स्कूल के उस श्मशान बाथरूम के उस कोने में क्योंकि अब वहां कोई नहीं जाएगा क्योंकि पब्लिक स्कूल में भी अकाल मृत्यु की आत्माएं बिना फीस दिए आती हैं.
 
पिता को भी तुम्हारे जाने का गम भूलना ही पड़ेगा क्योंकि उन्हें अभी जिंदा लोगों को पालना है. चिरायु रहना तुम अपने बाप की कांपती पसलियों में रह रह कर उठने वाली हूक में, तुम बच जाते तो भी तो कहां बचते जिंदा है. एक तरफ फीस दे देकर बाप तिल तिल मरता तो दूसरी तरफ तुम उस ड्राइवर के हाथों लुटने के बाद रोज मरते हो.
 
समाज के अंकगणित में एक के मरने से तीन का जीना फायदा होता है. चिरायु रहो प्रद्युमन गणित के इस बेशर्म प्रमेय में चिरायु रहो हमारे नक्कारेपन में प्रद्युमन है.
 
स्कूल की कॉपी में पेंसिल से लिखे इस खत में उस मासूम ने अपनी मां को लिखा था कि मां तुम्हारी डांट भी प्यार लगती है. छोटे प्रद्युम्न ने अपनी मां के हर एहसास को, उसकी हर फिक्र को इस चिट्ठी में अपनी टूटी फूटी हैंडराइटिंग में लिखा है.
 
कहां पता था उस बेचारी मां को कुछ ही दिन पहले अपने स्कूल की कॉपी में मां के नाम खत लिखने वाला प्रद्युम्न जब उस दिन स्कूल जाएगा तो कभी उसकी हंसी, उसकी मासूमियत वापस नहीं आएगा। कहां पता था मां को कि जिस लाल को वो स्कूल ड्रेस पहनाकर, बाल बनाकर, माथे पर एक हल्का काला टीका लगाकर स्कूल भेज रही है वो उसे सफेद चादर में लिपटा मिलेगा.
 

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