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ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा: हजारों गरीब बच्चों का करियर बनाने वाले प्रो. आनंद कुमार की कहानी

कुछ लोग समाज में ऐसे होते हैं जो कड़ी मेहतन और लगन के दम पर समाज में खुद की ना सिर्फ अलग पहचान बनाते हैं बल्कि समाज के सामने एक मिसाल भी पेश करते हैं.

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  • Last Updated: September 13, 2017 14:05:26 IST
 
नई दिल्ली: कुछ लोग समाज में ऐसे होते हैं जो कड़ी मेहतन और लगन के दम पर समाज में खुद की ना सिर्फ अलग पहचान बनाते हैं बल्कि समाज के सामने एक मिसाल भी पेश करते हैं. जिंदगी ना मिलेगी दोबारा कार्यक्रम के जरिए आपका भरोसेमंद चैनल इंडिया न्यूज समाज को प्रेरित करते इन लोगों को सम्मानित कर रहा है. आज हम जिस शख्स के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उन्होंने ना जाने कितने ऐसे बच्चों को फर्श से अर्श तक पहुंचाया है जिन्हें कभी दो जून की रोटी के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था. हम बात कर रहें सुपर-30 के संस्थापक प्रोफेसर आनंद कुमार की. 
 
अब तक हजारों बच्चों का जीवन बदल चुके प्रोफेसर आनंद कुमार को शायद ही आज बिहार का कोई नौजवान ना जानता हो. प्रोफेसर कुमार ने गरीबी को बेहद करीब से देखा है. साथ ही गरीबी के कारण दम तोड़ती प्रतिभाओं को भी देखा है. शायद यही वजह रही है प्रोफेसर आनंद कुमार ने संसाधनों के अभाव में दम तोड़ते टैलेंट को संजीवनी देने का बीड़ा उठाया. पिता की मौत के बाद प्रोफेसर आनंद कुमार अपनी मां के हाथ से बने पापड़ बेचकर घर का ख्रर्चा चलाते थे और साथ ही पढ़ाई भी करते थे. 
 
उन्हें कैंम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में दाखिला मिल रहा था लेकिन गरीबी की वजह से वो कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में दाखिला नहीं ले सके. इसके बाद सफर शुरू हुआ सुपर-30 का, जहां प्रोफेसर कुमार हर साल बिहार के 30 प्रतिभाशाली गरीब बच्चों को निशुल्क IIT JEE Entrance Exam की कोचिंग देते हैं. प्रोफेसर आनंद कुमार के पढ़ाए हुए लगभग 90 से 95 फीसदी बच्चे हर साल IIT JEE Entrance Exam क्लियर करते हैं. 
 
हर साल लाखों बच्चे आईआईटी में दाखिले के लिए परीक्षा देते हैं. सैंकड़ो ऐसे इंस्टीट्यूट हैं जो आईआईटी-जेईई प्रवेश परीक्षा के लिए कोचिंग देते हैं और बदले में मोटी फीस लेते हैं. लेकिन दूसरी तरफ प्रोफेसर आनंद कुमार हैं जो हर साल पूरे बिहार से गरीब परिवारों के 30 ऐसे बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं जो संसाधनों के अभाव में आईआईटी तक पहुंचने का सिर्फ ख्वाब ही देख सकते हैं. प्रोफेसर कुमार ना सिर्फ इन बच्चों को पढ़ाते हैं बल्कि उनके रहने और खाने का भी इंतजाम करते हैं. 
 

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