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इको सेंसिटिव जोन सिर्फ 100 मीटर हो सकता है या नहीं, SC तय करेगा वैधता

इको सेंसिटिव जोन के दायरे को 10 किलोमीटर से घटाकर 100 मीटर करना पहली नजर में केंद्र सरकार का मनमाना रवैया लगता है, सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कहीं जिसमें केंद्र सरकार की नई पॉलिसी के तहत इको सेंसिटिव जोन के दायरे को कम किया गया है.

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  • Last Updated: September 16, 2017 08:56:45 IST
नई दिल्ली: इको सेंसिटिव जोन के दायरे को 10 किलोमीटर से घटाकर 100 मीटर करना पहली नजर में केंद्र सरकार का मनमाना रवैया लगता है, सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कहीं जिसमें केंद्र सरकार की नई पॉलिसी के तहत इको सेंसिटिव जोन के दायरे को कम किया गया है.
 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा ये बेहद चौकाने वाला है कि इको सेंसिटिव जोन के दायरे को 10 किलोमीटर से घटाकर 100 मीटर कर दिया गया है. इस दायरे को कम करने का MOEF का फैसला अपनी शक्तियों का पूरी तरह से मनमाना रवैया लगता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे में केंद्र सरकार को नई पॉलिसी की वैधता को हम तय करेंगे. 
 
 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या आप नदियां, वन्यजीव समेत सब कुछ बर्बाद करना चाहते हैं? इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए यह भी कहा कि आपको ये बताना होगा कि आपने ऐसा क्यों किया है और पर्यावरण को बचाने के लिए अब आप क्या कर रहे है. संरक्षित क्षेत्र का उद्देश्य अब कैसे असंगत हो गया है.
 
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कहा गया कि दादर और नगर हवेली के वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के 10 किलोमीटर के दायरे के भीतर इंडस्ट्रियल यूनिट लगाने की पर्यावरण मंजूरी दी गई है.

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