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पटना HC तय करे बिहार में एनर्जी ड्रिंक शराबबंदी कानून के तहत बिके या नही : SC

नई दिल्ली : बिहार में शराबबंदी के बाद एक दिलचस्प मामला सामने आया. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पटना हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें एनर्जी ड्रिंक और फ्रूट बियर के एक गोदाम मालिक को हाई कोर्ट ने राहत देते हुए गोदाम के सील खोलने के आदेश […]

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  • Last Updated: September 19, 2017 06:49:29 IST
नई दिल्ली : बिहार में शराबबंदी के बाद एक दिलचस्प मामला सामने आया. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पटना हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें एनर्जी ड्रिंक और फ्रूट बियर के एक गोदाम मालिक को हाई कोर्ट ने राहत देते हुए गोदाम के सील खोलने के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पटना हाई कोर्ट वापस भेजते हुए कहा कि पटना हाई कोर्ट तय करे कि बिहार में एनर्जी ड्रिंक या फ्रूट बियर शराबबंदी के कानून के तहत बिक सकती है या नही. कोर्ट ने 6 हफ्ते में मामले का निपटारा करने को कहा है. 
 
दरअसल 9 फरवरी 2017 को पटना के आलमगंज थाना में एनर्जी ड्रिंक और फ्रूट बियर में एल्कोहल को लेकर एक FIR दर्ज हुई. जिसके बाद आबकारी विभाग और पटना पुलिस ने आलमगंज थाना के बजरंगपुरी कालोनी के अंगद नगर में एक गोदाम पर छापा मारा. 
 
जहां से 40 लाखों रुपये के एनर्जी ड्रिंक और फ्रूट बियर मिले. जिसके बाद गोदाम के मालिक के खिलाफ केस रजिस्टर हुआ नए शराब बंदी कानून के तहत. इसके बाद इसके सैम्पल लिए गए और जांच के लिए एक्साइज कैमिस्ट भेजे गए साथ ही सैम्पल को FSL भी भेजा गया. जो एक्साइज कैमिस्ट की रिपोर्ट थी उसमें इथाइल एल्कोहल मिला 0.2 से 05 परसेंट. FSL की रिपोर्ट में 0.2 से 1.2 इथाइल एल्कोहल मिला. 
 
 
अप्रैल 2017 में गोदाम मालिक ने इसके ख़िलाफ़ पटना हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की. जिसमें ये मांग की गई कि FIR को रद्द किया जाए और गोदाम को डिसिल किया जाए. 
 
पटना हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान गोदाम मालिक के खिलाफ करवाई पर रोक लगा दी और 40 लाख के बांड पर 17 जुलाई को गोदाम को डिसिल करने के आदेश दे दिए. 31 अगस्त को पटना हाई कोर्ट ने एक्साइज विभाग के अफसरों को आदेश पालन न करने के लिए अदालत में तलब कर लिए. इसके खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट आ गई. बिहार सरकार की ये दलील थी कि 2016 के शराबबंदी कानून के मुताबिक किसी भी तरह के एल्कोहल कंटेंट पर प्रतिबंध लगाता है. ऐसे में पटना हाई कोर्ट का आदेश सही नही है.

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