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संघ के सेवा प्रोजेक्ट्स और साहित्य अब होंगे ऑनलाइन

नई दिल्ली: संघ यानी राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ हमेशा से ही खुद को सामाजिक संगठन कहता आया है, लेकिन बीजेपी और विश्व हिंदू जैसे संगठनों का अभिभावक संगठन होने के नाते उस पर राजनीतिक होने के आरोप लगते ही रहते हैं.संघ के अधिकारियों को मीडिया और विरोधी, दोनों से ये शिकायत रहती आई है कि वो उनके […]

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  • Last Updated: September 23, 2017 08:57:57 IST
नई दिल्ली: संघ यानी राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ हमेशा से ही खुद को सामाजिक संगठन कहता आया है, लेकिन बीजेपी और विश्व हिंदू जैसे संगठनों का अभिभावक संगठन होने के नाते उस पर राजनीतिक होने के आरोप लगते ही रहते हैं.संघ के अधिकारियों को मीडिया और विरोधी, दोनों से ये शिकायत रहती आई है कि वो उनके सेवा कार्यों के बारे में बात ही नहीं करते और ना उन्हें नोटिस करते हैं.
 
जबकि संघ के हर जिलें में सेवा कार्य चल रहे हैं.जबकि विरोधी हमेशा संघ के हिंदूवादी चेहरे की ही बात करते हैं, तो समाधान क्या है? संघ के भोपाल और मुंबई के कुछ स्वंयसेवकों ने इसका समाधान ढूंढ निकाला है.
 
इसका समाधान है एक ऐसा प्लेटफॉर्म जो संघ के सारे सेवा कार्यों और पूरे देश में चल रहे सभी सेवा प्रोडेक्ट्स की जानकारी एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध करवा दे.इसके लिए इसी महीने संघ के सह कार्यवाह भैयाजी जोशी ने भोपाल में एक वेबसाइट लांच की, जिसका नाम है- http://sewagatha.org/ .इस साइट के मुताबिक इस वक्त पूरे देश में संघ के एक लाख सत्तर हजार सात सौ (1,70,700) सेवा प्रोजेक्ट्स काम कर रहे हैं.जिनमें से सबसे ज्यादा हैल्थ सेक्टर में हैं, पूरे 86,698.
 
 
जबकि दूसरे नंबर पर हैं सामाजिक क्षेत्र के सेवा प्रोजेक्ट्स, वर्तमान में 30,587 प्रोजेक्ट्स में संघ कार्यकर्ता जुड़े हैं तो तीसरे नंबर पर है एजुकेशन का क्षेत्र, जिसमें संघ के 26,827 प्रोजेक्ट्स सभी जिलों में संचालित हो रहे हैं और चौथे स्थान पर स्वाबलम्बन के प्रोजेक्ट्स, जिनके तहत गरीबों, आदिवासियों और दलितों को हुनर की ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वो कुछ काम सीखकर अपने पैरों में खडे हो सकें, ऐसे करीब 26,588 सेवा प्रोजेक्ट्स पूरे देश में काम कर रहे हैं.
 
सेवा विभाग की इस वेबसाइट का संपादन भोपाल में विजय लक्ष्मी सिंह के जिम्मे हैं.अभी भी इस साइट पर पूरी जानकारी डालने में वक्त लगेगा क्योंकि अभी तक इतने सारे प्रोजेक्ट्स का विवरण डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नहीं रखा जाता है.पहली बार शुरूआत हुई है तो फिर हर राज्य और हर सेक्टर का सैक्शन बनाना पडेगा, जिसका काम जारी है.क्योंकि अभी बेहद कम प्रोजेक्ट्स की डिटेल ही इस साइट पर आ पाई है.
 
ऐसा ही एक समाधान दिल्ली के पास गाजियाबाद में वैशाली के संघ स्वंयसेवकों ने भी संघ से जुड़ी एक समस्या का ढूंढ लिया है.जो भी नया व्यक्ति संघ से जुड़ना चाहता है या संघ के बारे में और ज्यादा जानना चाहता है, उसे संघ से जुड़ा साहित्य आसानी से नहीं मिलता है.पिछले कुछ सालों से संघ का कार्यकर्ता दिल्ली बुक फेयर समेत कई शहरों के बुकफेयर्स में स्टाल्स के जरिए आम लोगों तक पहुंचने की कवायद में तो जुटे ही हैं, इस बार तो दिल्ली के संघ अधिकारियों ने एक हफ्ता संघ साहित्य को लेकर ही मनाया और दिल्ली के हर कौने में अपनी स्टाल लगाई.
 
फिर भी हर आम व्यक्ति तक संघ से जुड़ी किताबें आसानी से उपलब्ध नहीं है और बड़े बुक स्टोर में तो आप सोचिए भी मत.तो इसका समाधान ये है कि इन सारी किताबों को ऑनलाइन उपलब्ध करवा दिया जाए.मोबाइल फोन तेजी से गांव कस्बे के आम लोगों के हाथ में भी पहुंच गया है, उस पर डाटा वार में इंटरनेट की दरें भी बड़ी तेजी से गिरी हैं.इसी के चलते संघ मित्र के नाम से संघ की वैशाली इकाई ने एक वेबसाइट बनाई और एक एप्प भी लांच कर दिया है.
 
इस वेबसाइट पर और इस एप्प के जरिए आप दुनियां के किसी भी कौन में बैठकर संघ से जुड़ी किताबों को डाउनलोड कर सकते हैं, पढ़ सकते हैं, सहेज सकते हैं, प्रिंट आउट ले सकते हैं.अब घर घर जाने की शायद जरूरत नहीं.संघ से जुड़े सुरुचि प्रकाशन की पहल और मदद से करीब 67 किताबों को अब तक इस वेबसाइट और एप्प पर उपलब्ध करवाया जा चुका है और बाकी का काम जारी है.अब तक आप डा हेडगेवार, गुरु गोलवलकर. सावरकर, नेताजी बोस, भगत सिंह आदि की जीवनियां ही नहीं, संघ और विवेकानंद साहित्य की भी कई किताबें डाउनलोड कर सकते हैं और इन किताबों का वेब पता है—  http://sanghmitra-vaishali.in/sangh-sahitya-rss/ .

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