Inkhabar
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • सर्जिकल स्ट्राइक का 1 साल, उरी अटैक के बाद ऐसे शुरू हुई थी ऑपरेशन की तैयारी

सर्जिकल स्ट्राइक का 1 साल, उरी अटैक के बाद ऐसे शुरू हुई थी ऑपरेशन की तैयारी

आज देश सर्जिकल स्ट्राइक के एक साल पूरा होने का जश्न मना रहा है. सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़े तमाम किस्से-कहानियों के बीच इस ऑपरेशन में शामिल जवानों ने हमारे सहयोगी चैनल 'न्यूज एक्स' पर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिए और बताई उस रात बहादुरी की कहानी. कैसे शुरू हुई थी इसकी तैयारी. तो आइए, जानते हैं सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारियों और ऑपरेशन की उस रात का स्याह सच.

Surgical Strike, Surgical Strike 2016, Surgical Strike team, Indian Army, LoC Pakistan, Special Forces, Uri attack
inkhbar News
  • Last Updated: September 29, 2017 07:17:05 IST
नई दिल्लीः आज देश सर्जिकल स्ट्राइक के एक साल पूरा होने का जश्न मना रहा है. सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़े तमाम किस्से-कहानियों के बीच इस ऑपरेशन में शामिल जवानों ने हमारे सहयोगी चैनल ‘न्यूज एक्स’ पर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिए और बताई उस रात बहादुरी की कहानी. कैसे शुरू हुई थी इसकी तैयारी. तो आइए, जानते हैं सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारियों और ऑपरेशन की उस रात का स्याह सच.
 
पिछले साल 28-29 सितंबर की दरम्यानी रात पाकिस्तान की सीमा में घुसकर भारतीयों जवानों ने आतंकियों की कमर तोड़ दी थी. यह ऑपरेशन (सर्जिकल स्ट्राइक) उरी अटैक में मारे गए 18 जवानों की शहादत का बदला था. दरअसल इस आतंकी हमले के बाद एक खुफिया ऑपरेशन की तैयारियां शुरू हो चुकी थीं. लेकिन उससे पहले उरी हमले का जख्म जवानों को खाए जा रहा था.
 
ऑपरेशन की कहानी कमांडो की जुबानी
ऑपरेशन में शामिल एक कमांडो ने बताया, ‘मैं उस समय सेना की 15 कॉर्प में शामिल था. उरी अटैक के बाद मैं बिहार रेजीमेंट के कुछ जवानों से मिला जो उस वक्त वहां थे. उन्हें हमले में मारे गए जवानों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था. वे नहीं जानते थे कि मैं पैरा-स्पेशल फोर्स का हिस्सा हूं. मैंने उनसे पूरी जानकारी लेनी चाही. शायद मैं उन्हें बेहतर समझ सकता था. उन्होंने बताया कि उनकी यूनिट को उरी शिफ्ट किया जा रहा था और वो वहां जा रहे थे. उनके पास इससे ज्यादा जानकारी नहीं थी.’
 
जल्द पूरी होने वाली थी मेरी इच्छा
कमांडो ने आगे कहा, ‘मुझे आतंकियों की इस कायराना हरकत पर बेहद गुस्सा आ रहा था. मेरे अंदर बदला लेने का भाव था और मैं सोच रहा था कि मुझे कब पाकिस्तान से बदला लेने का मौका मिलेगा. उस समय मुझे जरा भी अंदाजा नहीं था कि मेरी यह इच्छा सर्जिकल स्ट्राइक की टीम का हिस्सा होते हुए जल्द ही पूरी होने वाली है.’
 
जरूर लेंगे शहादत का बदला
सर्जिकल स्ट्राइक की ऑपरेशन टीम का हिस्सा रहे एक अन्य स्पेशल फोर्स कमांडो बताते हैं, ‘मैं उरी अटैक के वक्त वहां था. मैंने अपने जवानों की लाशें देखीं थीं. उसी दिन से मेरे अंदर बदले की भावना पैदा हो गई. हमारे ट्रुप ने बिहार रेजीमेंट के उन जवानों को भरोसा दिलाया और कहा कि हम भी भारतीय सेना का हिस्सा है और हम जल्द अपने जवानों की शहादत का बदला लेंगे और उनके परिवारों को न्याय दिलाएंगे. यही वो वक्त था जब पाकिस्तान को सबक सिखाने की जरूरत थी.’
 
पाकिस्तान को सिखाना था सबक
स्पेशल फोर्स कमांडो ने आगे कहा, ‘उरी अटैक के बाद हमारे अंदर बेहद गुस्सा था और हम चाहते थे कि पाकिस्तान को इसका जवाब इस कदर दिया जाए कि वह पूरी तरह से हिल जाए. हमें जल्द इसका जवाब देने की जरूरत थी. हमें पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों से आदेश चाहिए थे. उन आतंकियों ने हमारी सीमा के अंदर घुसकर हमारे जवानों पर हमला किया था. टीवी पर हमले में मारे गए जवानों के परिवारों को देखकर मन रो रहा था. उसी वक्त से मैं महसूस कर रहा था कि किसी भी तरीके से मुझे इसका बदला लेना है.’
 
हमें भी बुरा लगता है
‘हम देश के रक्षक हैं, हमारे अंदर भी भावनाएं हैं. जब हमारे भाइयों (जवानों) के साथ कुछ गलत होता है तो हमें बुरा लगता है. हम इसे कभी भुला नहीं सकते. फिर वो दिन आया जिसका सभी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. हमारे कॉर्प कमांडर, जेओसी, ब्रिगेड कमांडर ने कहा कि अब जवाब देने का वक्त आ गया है. उनका विश्वास ही हमारे इस ऑपरेशन (सर्जिकल स्ट्राइक) के लिए प्रेरणा बना. आर्मी चीफ सर भी उरी पहुंचे थे और उनके आदेश मिलने के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारियां शुरू हो गई. हमें पाकिस्तान की सीमा में घुसकर बड़े स्तर पर वहां पनाह लिए आतंकियों का खात्मा करना था. इसके लिए ऑपरेशन की टाइमिंग और हमला कहां-कहां करना है, इस पर प्लानिंग होने लगी.’
 
हाई लेवल पर हो रही थी ऑपरेशन की प्लानिंग
‘यह सभी प्लानिंग काफी हाई लेवल पर चल रही थी. हम उस समय नॉर्थन कमांड (जम्मू-कश्मीर) में थे और हमारा फोकस पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर था. उरी हमले के दो दिन बाद हमारे कमांडर ने सभी ट्रुप्स को बुलाया और हमसे हमारे मोबाइल फोन ले लिए गए. हमें लगा था कि जरूर कुछ बड़ा होने वाला है और हमे खुद को उसके लिए तैयार करना है. शुरूआत हो चुकी थी. अगले ही दिन ऑपरेशन के लिए ट्रुप्स, हथियारों और अन्य सामान का चयन शुरू हो गया. 21 सितंबर को सभी ट्रुप्स को फिर बुलाया गया और ऑपरेशन के लिए बेहतरीन कमांडोज़ का चयन किया जाने लगा.’
 
हर जवान ऑपरेशन में शामिल होना चाहता था
‘टीम के चयन में शामिल अधिकारी बेस्ट कमांडोज़ को ऑपरेशन टीम का हिस्सा बनाना चाहते थे. उनके लिए ये मुश्किल काम था क्योंकि हर कमांडो विशेष था. हर कोई इस ऑपरेशन का हिस्सा बनना चाहता था. लेकिन कुछ ही लोग इस ऑपरेशन टीम में शामिल हो सकते थे. उन्हें 25 से 30 कमांडो को सलेक्ट करना था. 24 सितंबर को मुझे पता चला कि मेरी स्किल की वजह से मैं उस टीम का हिस्सा बनूंगा. दरअसल मैं स्काइट मेडिको (मेडिकल विंग) और स्नाइपर हूं. दूसरा मैं कुपवाड़ा में रहा चुका था. शायद यही वजह रही कि मुझे सर्जिकल स्ट्राइक की टीम में शामिल किया गया था. मुझे ऑपरेशन टीम की मेडिकल हेल्प और नैविगेशन में मदद करनी थी.’
 
हर स्क्वॉड में 7 से 8 जवान
‘ऑपरेशन टीम तैयार हो चुकी थी. हर स्क्वॉड में 7 से 8 जवान थे. हर कोई अपने क्षेत्र में महारत रखता था. हमारे स्क्वॉड में 3-4 आतंकी शिविरों को ध्वस्त करने वाले स्पेशलिस्ट, मेडिकल स्पेशलिस्ट, वेपन स्पेशलिस्ट और आईईडी स्पेशलिस्ट शामिल थे. हमारी टारगेट संबंधी, ऑपरेशन संबंधी और इस मिशन से जुड़ी ट्रेनिंग हुई थी. इसके बाद सभी लोगों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू की और इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देकर हमारे शहीद जवानों का पाकिस्तान से बदला लिया.’

Tags