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राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के कुछ नियमों को रद्द किया जाए या नही, तय करेगा SC

याचिका में ये भी मांग की गई कि विदेशी कंपनी की किसी भी सब्सडरी कंपनी से चंदा लेने के नियम को भी रद्द किया जाए. साथ ही कोई भी कंपनी या व्यक्ति अपनी सालाना आय का 7.5 ही चंदा दे सकता है.

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  • Last Updated: October 3, 2017 08:07:27 IST
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है क्यों न राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के कुछ नियमों को रद्द कर दिया जाए ? सुप्रीम कोर्ट ने एसोसिएशन फोर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की याचिका पर नोटिस जारी किया है. एसोसिएशन फोर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पार्टियों को चंदा देने वाले नियमों को रद्द करने की मांग की है, जिनमें चुनावी बांड के जरिए पार्टियों को बिना नाम का खुलासा किए कितना भी चंदा दिया जा सकता है. 
 
याचिका में ये भी मांग की गई कि विदेशी कंपनी की किसी भी सब्सिडरी कंपनी से चंदा लेने के नियम को भी रद्द किया जाए. साथ ही कोई भी कंपनी या व्यक्ति अपनी सालाना आय का 7.5 ही चंदा दे सकता है, इस नियम को हटाए को भी हटाया जाए. 
 
 
इससे पहले 8 सितंबर को चुनाव सुधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए केंद्र और चुनाव आयोग से चार हफ्ते में जवाब मांगा है. दरअसल, चुनाव सुधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायक की गई थी. इस जनहित याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि उम्मीदवार नामांकन के वक्त आपराधिक रिकार्ड, शैक्षणिक जानकारी और देनदारी संबंधी जानकारी के हलफनामे के साथ सबूत के तौर पर कागजात भी लगाएं. 
 
याचिका में ये भी कहा गया है कि अगर इस जानकारी संबंधी दस्तावेज नहीं लगाए जाते तो चुनाव अधिकारी हलफनामे की जानकारी को सत्यापित नहीं कर सकता, जो कि चुनाव सुधार को लेकर कवायद में रुकावट पैदा करता है. इसके अलावा अगर ये कदम उठाया जाता है तो मतदाताओं को भी अपने उम्मीदवारों के बारे में सही जानकारी मिलने में आसानी रहेगी. बता दें कि इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका को रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

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