Inkhabar
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • जम्मू कश्मीर में लोग प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं पूछकर कोर्ट ने की गलती : CJI

जम्मू कश्मीर में लोग प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं पूछकर कोर्ट ने की गलती : CJI

जम्मू कश्मीर में पैलेट गन के इस्तेमाल के मामले में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ये पूछकर गलती की है कि जम्मू कश्मीर की सडकों पर लोग प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं

Chief justice of india, CJI Deepak Mishra, Supreme court, Jammu and Kashmir, Protest
inkhbar News
  • Last Updated: October 4, 2017 08:48:41 IST
नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर में पैलेट गन के इस्तेमाल के मामले में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ये पूछकर गलती की है कि जम्मू कश्मीर की सडकों पर लोग प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं ? चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर कोर्ट ने ये जानना चाहा था तो ये एक गलती थी. दरअसल ये टिप्पणी उस वक्त की गई जब याचिकाकर्ता जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट एसोसिएशन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ही जानना चाहता था कि राज्य की सडकों पर लोग क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं ? सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई अब 18 जनवरी 2018 को करेगा.
 
वहीं केंद्र सरकार ने याचिका का विरोध किया और कहा कि इसे खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि पहले ही ऐसे मुद्दों पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है. दरअसल जम्मू कश्मीर में प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने भी सवाल उठाया था कि प्रदर्शनकारियों में 9, 11, 13, 15 और 17 साल के बच्चे और नौजवान क्यों शामिल हैं ? रिपोर्ट के मुताबिक जख्मी लोगों में 40-50-60 साल के लोग नहीं हैं. खासकर 95 फीसदी जख्मी छात्र हैं. इससे पता लगता है कि बडी उम्र 28 साल हैं.
 
 
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि कश्मीर के हालात चिंताजनक हैं. हम एक गंभीर मुद्दे पर सुनवाई कर रहे हैं. वहीं केंद्र ने कहा कि पैलेट गन का इस्तेमाल आखिरी विकल्प पर तौर पर किया जा रहा है. किसी को मारना सुरक्षा बलों का उद्देश्य नहीं है. कश्मीर में उपचुनाव के दौरान बडे पैमाने पर हिंसा करने वाले ये कोई आम प्रदर्शनकारी नहीं है. जिनपर आसानी से काबू पा लिया जाए. प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए नया SOP बनाया गया है. वो पैलेट गन के अलावा किसी दूसरे विकल्प पर भी विचार कर रहा है.
 
लेकिन याचिकाकर्ता की दलील है कि ये बच्चे और नौजवान प्रर्दशनकारी नहीं बल्कि देखने वाले होते हैं. सुरक्षा बल जब फायरिंग करते हैं या पैलेट गन चलाते हैं तो वो भी चपेट में आ जाते हैं. जो केंद्र ने हालात बताए वो सही नहीं हैं. कश्मीर में नागरिकों से युद्ध के हालात नहीं होने चाहिए.

Tags