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‘चन्द्रशेखर सीमा’ के लिए विख्यात सुब्रह्मण्यन चन्द्रशेखर को Google ने Doodle बनाकर किया याद

खगोल भौतिक शास्त्री और 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले सुब्रह्मण्यन चन्द्रशेखर की आज 107वीं जयंती है.

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  • Last Updated: October 19, 2017 03:26:52 IST
नई दिल्ली: खगोल भौतिक शास्त्री और 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले सुब्रह्मण्यन चन्द्रशेखर की आज 107वीं जयंती है. इस मौके पर गूगल ने एक खास डूडल बनाकर उनको श्रद्धांजलि दी है. 18 वर्ष की आयु में चंद्रशेखर का पहला शोध पत्र ‘इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स’ में प्रकाशित हुआ. वह नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी. वी. रमन के भतीजे थे. बाद में डॉ. चंद्रशेखर अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने खगोल भौतिक शास्त्र तथा सौरमंडल से संबधित विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं. सुब्रह्मण्यन चन्द्रशेखर का जन्म वर्ष 19 अक्तूबर 1910 को लाहौर में हुआ था. चन्द्रशेखर की प्रारंभिक शिक्षा मद्रास में हुई. मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक की उपाधि लेने तक उनके कई शोध पत्र प्रकाशित हो चुके थे. चंद्रशेखर एक महान वैज्ञानिक, एक कुशल अध्यापक और उच्चकोटि के विद्वान थे. 
 
सुब्रमन्यन चंद्रशेखर का जन्म 10 अक्टूबर 1910 को लाहौर में हुआ था. उनके पिता चंद्रशेखर सुब्रमन्य ऐय्यर भारत सरकार के लेखापरीक्षा विभाग में अधिकारी थे. उनकी माता पढ़ी-लिखी उच्च कोटि की महिला थीं. चंद्रशेखर महान भारतीय वैज्ञानिक और भौतिकी के नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन के भतीजे थे. बारह साल की उम्र तक चंद्रशेखर की शिक्षा माता-पिता और निजी ट्यूटर के देख-रेख में हुई. सुब्रमन्यन चंद्रशेखर ने भौतिकी विषय में स्नातक की परीक्षा वर्ष 1930 में उतीर्ण की. जुलाई 1930 में उन्हें भारत सरकार की ओर से कैम्ब्रिज विश्विद्यालय, इंग्लैंड, में पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति मिला. उन्होंने अपनी पी.एच.डी. वर्ष 1933 में पूरा कर लिया. इसके बाद उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज के फैलोशिप के लिए चुना गया. इस फैलोशिप की अवधि 1933-37 थी. वर्ष 1936 में वो कुछ समय के लिये हार्वर्ड विश्वविद्यालय के दौरे पर गए थे जब उन्हें शिकागो विश्वविद्यालय में एक रिसर्च एसोसिएट के पद की पेशकश की गयी जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया. सितम्बर 1936 में सुब्रमन्यन चंद्रशेखर ने लोमिता दोरईस्वामी से शादी कर ली जो मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में उनकी जूनियर थीं.
 
सुब्रमन्यन चंद्रशेखर का उल्लेखनीय काम चंद्रशेखर लिमिट के नाम से जाना जाता है. जो तारों के अंत से संबंधित है. उनके अनुसार किसी भी तारे की एक उम्र होती है. जिसके बाद उसका अंत हो जाता है. तारों में नाभिकीय संलयन की प्रकिया से ऊर्जा पैदा होती है. हाईड्रोजन के नाभिक आपस में जुड़कर हीलियम के नाभिक बनाते हैं. जिसके कारण ऊर्जा पैदा होती है. लेकिन अक समय ऐसा होता है कि इस ऊर्जा को पैदा करने वाला ईंधन खत्म हो जाता है. अब सवाल उठता है कि इस तारे का बाद में क्या होता है. विज्ञान के अनुसार तारा न्यूट्रान स्टार या ब्लैक होल या सफेद बौने तारे में बदल जाता है. 
 

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