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कश्मीर पर होगी बात, फारूख अब्दुल्ला ने कहा- सरकार का यू-टर्न, चिदंबरम ने बताई बड़ी जीत

जम्मू-कश्मीर में सभी पक्षों से निरंतर बातचीत के लिए पूर्व आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा की बतौर वार्ताकार नियुक्ति पर नेशनल कांफ्रेस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला ने इस फैसले को केंद्र सरकार का यू-टर्न बताया. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले पर ट्वीट किया.

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  • Last Updated: October 23, 2017 13:22:10 IST
नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर में सभी पक्षों से निरंतर बातचीत के लिए पूर्व आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा की बतौर वार्ताकार नियुक्ति पर नेशनल कांफ्रेस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला ने इस फैसले को केंद्र सरकार का यू-टर्न बताया. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले पर ट्वीट किया. उमर ने ट्वीट किया, ‘राज्य के नागरिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए बातचीत का रास्ता निकाला गया है. बातचीत प्रक्रिया के परिणाम देखने के लिए इंतजार करेंगे.’ जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार के इस फैसले का तहे दिल से स्वागत किया. मुफ्ती ने कहा कि बातचीत समय की मांग है और सकारात्मक रूप से आगे बढ़ने का यही एक रास्ता होगा. जम्मू-कश्मीर में शांति के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर के सभी पक्षों से निरंतर बातचीत शुरू करने के लिए पूर्व आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा को वार्ताकार नियुक्त किया है. राजनाथ ने कहा, केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के सभी पक्षों से खुले दिल से बात करेगी.
 
सीएम मुफ्ती ने ट्वीट कर पीएम मोदी की स्वतंत्रता दिवस पर दी गई पीएम की स्पीच को याद दिलाया. वह लिखती हैं, ‘सूबे में शांति बनाए रखने के लिए बातचीत का फैसला पीएम मोदी के उस भाषण से जुड़ा है, जिसमें वह कहते हैं, न गोली से, न गाली से, कश्मीर की समस्या सुलझेगी गले लगाने से.’ पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, जम्मू-कश्मीर के लोगों की ‘वैध आकांक्षा’ एक दिलचस्प पहलू है, लेकिन यह कौन तय करेगा कि क्या वैध है? उमर आगे लिखते है, ‘जम्मू-कश्मीर में NIA जांच का फिर क्या मतलब है? क्या हिरासत में लिए गए हुर्रियत नेताओं से बातचीत को सुलभ बनाने के लिए NIA जांच बंद होगी? कश्मीर मुद्दे पर बातचीत के लिए सरकार की सहमति उन लोगों की हार है, जो हर मुद्दे पर बल प्रयोग को समाधान मानते हैं.’
 
पूर्व वित्त और गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने इसे विपक्ष की बड़ी जीत बताया. चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘बातचीत नहीं करने’ से लेकर ‘सभी पक्षों से बातचीत’, यह उन लोगों की बड़ी जीत है जो जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक समाधान की पैरवी करते हैं. उन्होंने कहा, ‘वार्ताकार नियुक्ति के साथ सरकार ने अंतत: मान लिया कि ‘ताकत के बल पर’ जम्मू-कश्मीर में समस्या का हल नहीं किया जा सकता है.’ बता दें कि कश्मीर वार्ता प्रक्रिया का फोकस राज्य के नौजवान और युवा लोग होंगे. सरकार के इस ऐलान का जहां वार्ता की वकालत करने वालों ने स्वागत किया है तो कुछ ने इसे सरकार के यू-टर्न के तौर पर लिया है, जिनके मुताबिक सरकार कश्मीर मसले पर कोई बातचीत नहीं से बातचीत के टेबल की तरफ बढ़ रही है.
 
 

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