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सजायाफ्ता नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध के समर्थन में चुनाव आयोग

चुनाव आयोग ने सजायाफ्ता नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने वाली याचिका का समर्थन किया है

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  • Last Updated: November 1, 2017 08:25:52 IST
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमों को निपटाने के लिए स्पेशल कोर्ट के गठन का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा फंड और संसाधनों को लेकर 13 दिसंबर तक योजना सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने को कहा. आपराधिक मामलों में सजायाफ्ता होने पर आजीवन चुनाव लडऩे की पाबंदी लगाने की मांग वाली याचिका का चुनाव आयोग ने समर्थन किया. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण को नियंत्रित करने के लिए ये जरूरी है, ऐसे में केंद्र सरकार को एक्ट में बदलाव करना चाहिए. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा आपराधिक मामलों में दोषी सांसद या विधायक के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए. गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट पहले भी दागी नेताओं को लेकर टिप्पणी कर चुका है. हालांकि सजायाफ्ता जनप्रतिनिधियों के 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने के प्रावधान की समीक्षा के लिए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये कहते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया था कि हमने कानून नहीं बनाया है तो हम इसमें दखल क्यों दें?
चुनाव आयोग के बाद अब सरकार ने भी इस याचिका का समर्थन किया है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि वो जनप्रतिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों की फास्टट्रैक सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने के समर्थन में है. सरकार ने ये भी कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि जनप्रतिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों की फास्टट्रैक सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने के समर्थन में है. हालांकि फिलहाल सजायाफ्ता जनप्रतिनिधियों के आजीवन चुनाव लडने पर रोक पर अभी विचार जारी, कोई फैसला नहीं लिया गया है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कुछ तीखे सवाल भी पूछे. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि 2014 के चुनाव के दौरान 1581 उम्मीदवारों के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का क्या हुआ? इनमें से कितने मामलों में सजा हुई, कितने लंबित हैं और इन मामलों की सुनवाई में कितना वक्त लगा? इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि 2014 के बाद 2017 तक इनमें से चुने गए जनप्रतिनिधियों के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का क्या हुआ और इनमें से कितने मामलों में सजा हुई, कितने लंबित हैं और इन मामलों की सुनवाई में कितना वक्त लगा?
 

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