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राजनीति में भी सफाई अभियान, स्पेशल कोर्ट करेगी नेताओं के खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई

राजनीति से अपराध कम करने की दिशा में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा कदम उठाते हुए जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमों को निपटाने के लिए स्पेशल कोर्ट के गठन का आदेश दिया है. कोर्ट ने सरकार को स्पेशल कोर्ट को बनाने की योजना का खाका, संसाधन और फंड जैसी चीजों का ब्यौरा देने के लिए 13 दिसंबर तक का समय दिया है.

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  • Last Updated: November 1, 2017 10:47:44 IST
नई दिल्ली: राजनीति से अपराध कम करने की दिशा में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा कदम उठाते हुए जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमों को निपटाने के लिए स्पेशल कोर्ट के गठन का आदेश दिया है. कोर्ट ने सरकार को स्पेशल कोर्ट को बनाने की योजना का खाका, संसाधन और फंड जैसी चीजों का ब्यौरा देने के लिए 13 दिसंबर तक का समय दिया है. सरकार भी सुप्रीम कोर्ट की इस पहल का समर्थन कर रही है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जनप्रतिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों की फास्टट्रैक सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने का समर्थन करती है. सरकार ने ये भी कहा कि जनप्रतिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई कम से कम वक्त में पूरी करने की मांग का भी वो समर्थन करते हैं.
 
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पेशल कोर्ट में स्पीडी ट्रायल होगा. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि ‘ 6 हफ्ते में बताएं की स्पेशल कोर्ट बनाने में कितना खर्च आएगा. उसके बाद ये तय होगा कि जजों की नियुक्ति कैसे होगी, इंफ्रास्ट्रक्चर कैसे होगा, कोर्ट स्टॉफ की नियुक्ति कैसे होगी और इस मामले में राज्य सरकारों को पक्ष बनाने पर विचार होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2014 के चुनाव के दौरान 1581 जन प्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे थे. सरकार हलफ़नामा दायर कर बताए कि इन 1581 मामलों का क्या हुआ? इनमें से कितने मामलों में सजा हुई, कितने लंबित हैं और इन मामलों की सुनवाई में कितना वक्त लगा?
 
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ये भी कहा कि 2014 से 2017 के बीच जनप्रतिनिधियों के ख़िलाफ़ कितने नए मामले दर्ज हुए है, कितने मामलों में सजा हुई, कितने मामलों में बरी हुए और मामले की सुनवाई कितने दिनों में पूरी हुई, इसकी जानकारी भी हलफ़नामा दायर कर बताए.वही मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि जनप्रतिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों की फास्ट ट्रैक सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने का वो समर्थन करती है साथ ही इन मामलों की सुनवाई कम से कम वक्त में पूरी करने की मांग का समर्थन करते हैं. वही केंद्र सरकार ने कहा कि सजायाफ्ता जनप्रतिनिधियों के आजीवन चुनाव लड़ने पर रोक पर अभी विचार जारी है और फिलहाल इसपर कोई फैसला नहीं लिया गया है. 
 
वही आपराधिक मामलों में सजायाफ्ता होने पर आजीवन चुनाव लडऩे की पाबंदी लगाने की मांग वाली याचिका का चुनाव आयोग ने समर्थन किया है. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण को नियंत्रित करने के लिए जरूरी है, ऐसे में केंद्र सरकार को एक्ट में बदलाव करना चाहिए. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा आपराधिक मामलों में दोषी सांसद या विधायक के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए साथ ही मामले के निपटारे के लिए स्पेशल कोर्ट बनाया जाए. मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी. 
 
 
 

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