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अनजाने में किस शपथ में बांध दिया था इंदिरा गांधी को जवाहर लाल नेहरू ने ?

इंदिरा गांधी को बचपन में परियों की कहानियां पढ़ने सुनने का बड़ा शौक था लेकिन नेहरू को उनका ये किताबें पढ़ना पसंद नहीं था, नेहरू उन्हें इसलिए दुनिया भर के मशहूर लेखकों की किताबें दिया करते थे ताकि इंदिरा बचपन से ही अच्छा साहित्य पढ़ सकें

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  • Last Updated: November 2, 2017 14:10:51 IST
नई दिल्ली: इंदिरा गांधी को बचपन में परियों की कहानियां पढ़ने सुनने का बड़ा शौक था लेकिन नेहरू को उनका ये किताबें पढ़ना पसंद नहीं था, नेहरू उन्हें इसलिए दुनिया भर के मशहूर लेखकों की किताबें दिया करते थे ताकि इंदिरा बचपन से ही अच्छा साहित्य पढ़ सकें लेकिन बच्चों से कौन जीत पाया है. इंदिरा तब नेहरू के सामने भले ही मान जाती हों लेकिन वो अपनी पसंदीदा किताबें या तो बाथरूम में बंद होकर पढ़ती थीं या फिर कंबल के अंदर. ऐसे में एक दिन नेहरू ने ऐसी ही बाल सुलभ शरारत के बीच इंदिरा को दिलवा दी उनकी जिंदगी की सबसे सीरियस शपथ.
 
इंदिरा भले ही आम बच्चों जैसा जीवन नहीं बिता रही थीं, लेकिन उनके अंदर का साधारण बच्चा आसानी से निकला भी नहीं. एक बार जब 1928 में कांग्रेस का अधिवेशन कोलकाता में हुआ तो मोतीलाल नेहरू को अध्यक्ष चुना जाना था. पूरे परिवार के साथ इंदिरा भी इस मौके पर कोलकाता गईं. बड़े तो अधिवेशन में चले गए, लेकिन इंदिरा को साथ मिला कोलकाता में अपने कजिन्स नन्हें मदन और बल्लो नेहरू का. तीनों में शर्त लग गई कि कौन केले ज्यादा खा सकता है, दोनों लड़कों को पछाड़ कर इंदिरा ने ही सबसे ज्यादा केले खाए. बचपन से ही इंदिरा को हारना पसंद भी नहीं था. तभी नेहरू चाहते थे कि वो जल्द एक बड़ी जिम्मेदारी संभालने लायक हो जाएं.
 

अगले साल लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस प्रेसीडेंट उनके पिता जवाहर लाल नेहरू बने, तो नेहरू ने उस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज पारित करवाया. उससे एक दिन पहले जब नेहरू का सेक्रेटरी उस प्रस्ताव को टाइप कर रहा था तो नेहरू ने इंदिरा से कहा तुम मुझे पढ़कर तेज आवाज में सुनाती रहो. इंदिरा ने जब पूरा पढ़कर सुना दिया तो नेहरू ने क्या कहा, उसका शपथ से क्या वास्ता, जानने के लिए देखिए ये वीडियो
 

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