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नोटबंदी का 1 साल, नोटबंदी को नाकाम बताने वाले विपक्ष के 15 बड़े दावे

तारीख थी 8 नवंबर, 2016.. जन्मदिन तो बीजेपी के भीष्म पितामह लालकृष्ण आडवाणी का था लेकिन टीवी पर ठीक रात 8 बजे प्रकट हुए पीएम नरेन्द्र मोदी. किसी को अंदाजा नहीं था कि क्या होने वाला है?

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  • Last Updated: November 6, 2017 15:38:36 IST
नई दिल्लीः तारीख थी 8 नवंबर, 2016.. जन्मदिन तो बीजेपी के भीष्म पितामह लालकृष्ण आडवाणी का था लेकिन टीवी पर ठीक रात 8 बजे प्रकट हुए पीएम नरेन्द्र मोदी. किसी को अंदाजा नहीं था कि क्या होने वाला है? पीएम ने कर दिया ऐलान कि आज रात 12 बजे से सभी 500 और 1000 के नोटों का लीगल टेंडर खत्म और जैसे ही लोगों को न्यूज चैनल्स के जरिए ये खबर समझ आई तो हंगामा मच गया. देश में प्रचलन में कुल नकदी में से 15 लाख 44 हजार करोड़ रुपए यानी कुल नकदी की करीब 86 फीसदी रकम 500 और 1000 की शक्ल में देश में फैली हुई थी. जिसमें से तय तारीख तक करीब 99 परसेंट नकदी वापस बैंकों मे जमा हो गई और 16000 करोड़ रुपए के नोट वापस नहीं आए. 8 नवंबर, 2017 को नोटबंदी को एक साल हो रहा है. सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार जहां इसे ‘ब्लैक मनी डे’ के तौर पर मना रही है तो विपक्षी पार्टियां खासकर कांग्रेस इसे ‘ब्लैक डे’ के तौर पर मनाएगी. नोटबंदी अपने मिशन में कामयाब हुई या बुरी तरह फेल, दोनों पक्षों की अपनी-अपनी राय है, अपने-अपने दावे हैं. नोटबंदी की सालगिरह पर जानिए, पहले विपक्ष के दावेः
 
– विपक्ष के दावे
 
1- इतनी जीडीपी कभी नहीं गिरी, इसका असर देश के हर सेक्टर पर पड़ेगा, नई नौकरियां निकालना आसान नहीं होगा.
 
2- नोट छापने में पैसा काफी लगा, उससे ज्यादा उसके ट्रांसपोर्टेशन में लगा.
 
3- 2000 के नोट के छुट्टे आसानी से नहीं मिलते, लोग परेशान होते हैं.
 
4- काफी लोग लाइनों में मर गए. करीब 100 का आंकड़ा है और उनकी कोई गलती नहीं थीं, सरकार ने मुआवजा तक नहीं दिया.
 
5- छोटे रोजगारों पर असर पड़ा, काफी लोग शहरों से वापस लौट गए. एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर में करीब 15 लाख लोगों को अपनी जॉब केवल नोटबंदी की वजह से गंवानी पड़ी है.
 
6- लोग काफी परेशान हुए थे, बहुतों की शादियां टूट गईं. जिन मजदूरों को कैश में ही सैलरी मिलती थी, जिनके पास बैंक एकाउंट नहीं है, उनको काफी दिक्कतें हुईं.
 
7- पूरा पैसा लौट आया, करीब 99 फीसदी..तो काला धन कहां गया? तीन से चार लाख करोड़ वापस नहीं आने की बात कर रहे थे.
 
8- अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार देने वाला रीयल एस्टेट सेक्टर बर्बाद हो चुका है, लाखों फ्लैट अभी भी नहीं बिके हैं.
 
9- बैंक वालों को काला धन बनाने का मौका मिल, जमकर ब्लैक का ह्वाइट किया. अमीरों का पैसा बैक गेट से बदला, गरीब लाइन में मरे.
 
10- तैयारी के लिए वक्त दिया जाना चाहिए था. नए 2000 के नोट के लिए बैंकों के एटीएम भी तैयार नहीं थे. कई दिन में दो हजार का नया नोट डाला जा सका, काफी अव्यवस्था थी.
 
11–देश मंदी की चपेट में आ गया है. काला धन का बहुत छोटा सा हिस्सा नकदी के तौर पर होता है. सबसे ज्यादा काला धन तो प्रॉपर्टी के फील्ड में है लेकिन सरकार ने इस दिशा में कुछ ना करके आम आदमी की समस्या बढ़ाई.
 
12- ये उस तरह का ही मामला था कि एक मच्छर को ढूंढने के लिए पूरे घर में आग लगा दी जाए. काला धन निकालने के और भी रास्ते थे. गरीबों को लाइन में लगाकर मारने का क्या तुक था.
 
13- 16,000 करोड़ करीब रकम वापस नहीं आई, लेकिन उसके लिए सरकार ने 21,000 करोड़ रुपए खर्च कर डाले.
 
14- सरकार ने दावा किया था कि इस नोट का कोई भी नकली नोट नहीं बना पाएगा, लेकिन कई जगहों पर नए नोट के फेक नोट मिले हैं.
 
15- सरकार ने ब्लैकमनी रोकने के लिए नोटबंदी का ऐलान किया और 2000 का नोट तो ब्लैक मनी को और भी बढ़ाएगा, क्योंकि इसके जरिए बड़ी रकम को लाना-ले जाना और जमा करना आसान होगा.
 
 

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