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नोटबंदी का 1 साल, नोटबंदी को सफल बताने वाले मोदी सरकार के 15 बड़े दावे

8 नवंबर, 2016 को रात के ठीक 8 बजे पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का जो ऐलान किया, उससे पूरे देश में एक नई बहस छिड़ गई. वो ऐलान था 500 और 1000 के नोटों का लीगल टेंडर खत्म करने का. सरकार ने प्रमुख तौर पर ब्लैक मनी पर नकेल कसने के लिए यह फैसला लिया था.

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  • Last Updated: November 6, 2017 16:14:56 IST
नई दिल्लीः  8 नवंबर, 2016 को रात के ठीक 8 बजे पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का जो ऐलान किया, उससे पूरे देश में एक नई बहस छिड़ गई. वो ऐलान था 500 और 1000 के नोटों का लीगल टेंडर खत्म करने का. सरकार ने प्रमुख तौर पर ब्लैक मनी पर नकेल कसने के लिए यह फैसला लिया था. विपक्ष ने सरकार को इस मुद्दे पर घेरने की हर संभव कोशिश की. वह कोशिशें बदस्तूर जारी भी हैं. 8 नवंबर, 2017 को नोटबंदी का एक साल पूरा हो रहा है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने जहां इस दिन को ‘ब्लैक डे’ मनाने की घोषणा की है, वहीं मोदी सरकार पूरे देश में ‘एंटी ब्लैक मनी डे’ मनाने का ऐलान कर चुकी है. नोटबंदी अपने मिशन में कामयाब हुई या बुरी तरह फेल, दोनों पक्षों की अपनी-अपनी राय है, अपने-अपने दावे हैं. नोटबंदी की सालगिरह पर जानिए मोदी सरकार के वो 15 दावे, जिनके आधार पर सरकार नोटबंदी को पूरी तरह से सफल बता रही हैः
 
– सरकार के दावे
 
1- 2 लाख फर्जी कंपनियां पकड़ी गईं, ये ब्लैकमनी छुपाने का स्त्रोत थीं.
 
2- 18 लाख खाते संदेह के घेरे में हैं, जिनमें करीब पौने दो लाख करोड़ रुपया जमा है. सबकी जांच चल रही है और यही काला धन है और करीब एक फीसदी पैसा वापस नहीं आया, वो भी आरबीआई को मिला. सरकार 17 लाख पैन कार्ड्स और 23 लाख खाता धारकों की आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच कर रही है.
 
3- आतंकवादियों को मिलने वाले आर्थिक सपोर्ट में कमी आई, कश्मीर में बढ़ी बैंक लूट की घटनाएं और घटी पत्थरबाजी की घटनाएं इसका सबूत हैं.
 
4- जीडीपी गिरना तात्कालिक असर ही है, बाद में बढ़ेगी. कांग्रेस की पिछली सरकार में ही जीडीपी आठ बार इस लेवल पर आई थी. वर्ल्ड बैंक की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रिपोर्ट में भारत टॉप 100 देशों में है. एक ही साल में 30 अंकों की छलांग लगाई है तो ये ऐतिहासिक है, आज तक कभी नहीं हुआ.
 
5- करीब एक करोड़ पच्चीस लाख टैक्सपेयर एक साल में ही बढ़े हैं, जिनमें इनकम टैक्स पेयर ही 27 फीसदी बढ़ गए हैं. नए आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले भी 67 लाख से बढ़कर 84 लाख हो गए हैं.
 
6- इनडायरेक्टर टैक्स और डायरेक्ट टैक्स के कलेक्शन में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. कुल कर राजस्व 18 फीसदी से बढ़कर 17.1 लाख करोड़ पहुंच गया. एक्साइज ड्यूटी 33.9 फीसदी और सर्विस टैक्स कलेक्शन 20.2 फीसदी तक बढ़ गया है.
 
7- सरकार ने कभी नहीं कहा कि तीन से चार लाख करोड़ रुपया वापस नहीं आएगा. ये मीडिया का अपना अनुमान था बल्कि सरकार को अब ये पता चल गया है कि जो नकदी सिस्टम में है वो किसकी है और कहां जा रही है, जिससे गलत कामों में पैसा नहीं लग पाएगा, जो लोग करीब 2 लाख करोड़ की रकम का हिसाब नहीं दे रहे, उन पर नियमों के तहत एक्शन लिया जाएगा.
 
8- सरकार ने इस नोटबंदी के जरिए 800 करोड़ रुपए की बेनामी सम्पत्ति भी जब्त की और पांच हजार करोड़ रुपए गरीब कल्याण योजना के तहत भी घोषित हुआ. 24000 लोगों ने ये पैसा ब्लैकमनी के तौर पर घोषित किया.
 
9- नोटबंदी के पहले हफ्ते में ही डिजिटल ट्रांजेक्शन 300 फीसदी तक बढ़ गया और लगातार लोग ई-बैकिंग को तरजीह दे रहे हैं. एटीएम मशीनों पर लोड कम हुआ है.
 
10- सबसे ज्यादा फायदा 8 लाख करोड़ के कर्ज से डूबे बैंकिंग सिस्टम को हुआ, जहां 73,000 खाते रोज खुल रहे थे, नोटबंदी के बाद दो लाख खाते रोज खुले. केवल जनधन खातों में 456 अरब रुपए नोटबंदी के पहले जमा थे जो 746 अरब हो गए. नोटबंदी के बाद ही 23 करोड़ से ज्यादा जनधन खाते खुल चुके हैं और आज बैकों के पास कर्ज देने के लिए पैसे की कोई कमी नहीं है.  बैंकों ने ब्याज दरें भी कम कर दी हैं.
 
11- अगर मंदी है तो ऑटोमोबाइल की बिक्री क्यों बढ़ी? एयर ट्रैवल करने वालों की संख्या क्यों बढ़ रही है और मोबाइल फोन की सेल 14 फीसदी तक क्यों बढ़ गई है.
 
12- नोटबंदी के तुरंत बाद इनकम टैक्स छूट के तहत ढाई लाख से पांच लाख के बीच 10 परसेंट के स्लैब को सरकार ने केवल पांच फीसदी कर दिया. पूरे साढ़े बारह हजार का फायदा हर भारतीय को मिला, इसी तरह पीएम आवास योजना के तहत तीन से चार फीसदी ब्याज दरों में भी कमी कर दी गई. बैंकों में अब काफी पैसा भी कर्ज देने को आ गया है. म्यूचुअल फंड्स में भी निवेश 0.6 अरब डॉलर से बढ़कर नोटबंदी के फौरन बाद 2 अरब डॉलर और अब बढ़कर 4 अरब डॉलर हो चुका है.
 
13- रीयल इस्टेट सेक्टर की मदद के लिए पीएम आवास योजना के तहत होम लोन की ब्याज दरें तीन से चार फीसदी घटाई हैं. नोटबंदी के चलते जमीनों और फ्लैटों के रेट्स भी थमे हैं या गिरे हैं, आम जनता को फायदा होगा.
 
14- अगर सबको पहले से बता देते या तैयारी करने का वक्त देते तो ब्लैक मनी वालों को संभलने का मौका मिल जाता, फिर नोटबंदी का अर्थ ही खत्म हो जाता.
 
15- हर साल करीब साढ़े तीन हजार करोड़ पुराने नोट की जगह नए नोट लाने में खर्च होते हैं. नोटबंदी के दौरान ये लागत बढ़कर दोगुनी यानी करीब सात हजार करोड़ ही हुई, 21 हजार का आंकड़ा कांग्रेस ने खुद तैयार किया है.
 
 

 

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