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धरती पर आ रही बड़ी तबाही, 7.65 लाख मौतें से हाहाकार, भारत पर काल बनकर मंडरा रहा खतरा!

जलवायु परिवर्तन का प्रकोप दुनिया भर में देखा जा रहा है। कभी भयंकर गर्मी, कभी मूसलाधार बारिश, बाढ़ और तूफ़ान ने लोगों का जीवन नर्क बना रखा है।

Climate change
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  • Last Updated: February 26, 2025 13:13:24 IST

नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन का प्रकोप दुनिया भर में देखा जा रहा है। कभी भयंकर गर्मी, कभी मूसलाधार बारिश, बाढ़ और तूफ़ान ने लोगों का जीवन नर्क बना रखा है। क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स के मुताबिक दुनिया में कुछ ऐसे देश हैं, जो जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित है। इन मौसमी घटनाओं से देश को नुकसान पहुँच रहा।

कुदरत का कहर झेल रहा भारत

क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2025 की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 30 सालों में यानी 1993 से 2023 तक कुदरत का कहर झेलने वाले देशों में भारत छठे नंबर पर आता है। इस साल सबसे ज्यादा प्रभावित देश में पाकिस्तान, इटली, ग्रीस और स्पेन रहा। अमेरिका, पुर्तगाल, नाइजीरिया और बुल्गारिया भी इस लिस्ट में शामिल हैं। 1993 और 2022 तक इससे जुड़ी हुई 9400 से अधिक घटनाओं में 7 लाख 65 हजार लोगों की जान चली गई है। इनमें 4.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है।

लोगों का जीना दूभर

डॉमिनिका को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ रहा है। यहां कई लोगों की जान चली गई। बार-बार आते तूफ़ान ने लोगों का जीना दूभर कर रखा है। चीन में भी कुदरती आपदाओं एक कहर देखने को मिलता है। चीन में बार-बार बाढ़ आती है। यांग्त्जी नदी के आस-पास सबसे ज्यादा बाढ़ आती है। इस वजह से लाखों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। 1994 के फ्रेड तूफान और 2006 में सोमाई तूफान में कितने लोगों की जान चली गई। पिछले कुछ सालों में भारत भी सूखे-बाढ़, गर्मी और तूफ़ान जैसी आपदाओं को झेल रहा है। इससे न सिर्फ लाखों लोग प्रभावित हो रहे बल्कि कृषि को काफी नुकसान पहुँच रहा है।

180 अरब डॉलर का नुकसान

भारत में गर्मी का असर भी तेजी से देखने को मिल रहा। तापमान लगभग 50 डिग्री सेल्सियस तक जा रहा है। 1998, 2002, 2003 और 2015 में भीषण गर्मी की वजह से कितने लोगों की जान चली गई। 1998 में गुजरात और 1999 में ओडिशा में आये चक्रवाती तूफ़ान से बहुत हानि हुई है। पिछले 3 दशकों में इस तरह की घटनाओं से 80 हजार लोगों की जान चली गई है। साथ ही 180 अरब डॉलर का नुकसान भी हुआ है।

 

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