नई दिल्ली. सपा नेता अबू आजमी द्वारा क्रूर मुगल शासक औरंगजेब को अच्छा बादशाह बताने के बाद राजनीतिक गलियारों में उफान है और सोशल मीडिया पर तूफान. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि औरंगजेब ने जितना अत्याचार किया उतना शायद ही किसी शासक ने किया हो. …लेकिन कहते हैं कि इंसान अच्छा हो या बुरा मौत के समय उसे अहसास हो जाता है कि उसने क्या अच्छा किया और किया बुरा. गुरु तेग बहादुर जैसे संत का सिर कलम कराने, गुरु गोविंद सिंह के बेटों को दीवार में चिनवाने, संभाजी महाराज की आंखें फोड़ने और नाखून उखाड़वाने और धर्मांतरण के लिए हजारों की जान लेने वाले औरंगजेब का आखिरी खत आंखे खोल देने वाला है.
अपने बेटों मुहम्मद मुअज्जल, मुहम्मद आजम और कामबख़्श को लिखे आखिरी खत में उसने लिखवाया कि “दुनिया में कुछ लेकर नहीं आया था लेकिन अब पापों का भारी बोझ लेकर जा रहा हूं. मैं नहीं जानता कि अल्लाह मुझे क्या सजा देगा, मैंने लोगों को जितने भी दुख दिए हैं, वो हर पाप जो मुझसे हुआ है उसका परिणाम मुझे भुगतना होगा. बुराइयों में डूबा हुआ गुनाहगार हूं मैं.”
Aurangzeb’s last letter to his sons
मुगलों का इतिहास हिंदुओं पर अत्याचार, मंदिर तोड़ने, और सांप्रदायिक कर लगाने जैसे फैसलों से भरे पड़े हैं. उन्हीं में से एक औरंगजेब जिसका शासनकाल 1658-1707 रहा, बहुत ही आतताई और क्रूर था. अखिलेश यादव की पार्टी सपा के महाराष्ट्र के नेता हैं अबू आजमी जो अपने जहरीले बोल के लिए जाने जाते हैं उन्हें अचानक इहलाम हुआ कि औरंगजेब महान था. हालांकि जब लानत मलानत हुई तो वह अपने बयान से पीछे हट गये लेकिन उन्होंने एक ऐसा विवाद छेड़ दिया है जिसको लेकर अभी तक मीडिया खासतौर से सोशल मीडिया में बहस हो रही है.
इसी बीच औरंगजेब द्वारा लिखवाया गया खत राम कुमार वर्मा की किताब के जरिए सामने आया है. राम कुमार वर्मा की किताब ‘औरंगजेब की आखिरी रात’ में वो सब कुछ दर्ज है जो औरंगजेब ने अपने जीवन के आखिरी दिनों में स्वीकारा था. औरंगजेब अपने बेटों के नाम पत्र में लिखवाता है कि ”अब मैं बूढ़ा व दुर्बल हो गया हूं. नहीं जानता कि मैं कौन हूं और इस दुनिया में क्यों आया. मैंने किसी का भला नहीं किया, मेरा जीवन व्यर्थ बीत गया. भविष्य को लेकर कोई उम्मीद नहीं बची है…दुनिया में कुछ लेकर नहीं आया था, लेकिन अब पापों का भारी बोझ लेकर जा रहा हूं. मैं नहीं जानता कि अल्लाह मुझे क्या सजा देगा, मैंने लोगों को जितने भी दुख दिए हैं, वो हर पाप जो मुझसे हुआ है उसका परिणाम मुझे भुगतना होगा. बुराईयों में डूबा हुआ गुनाहगार हूं मैं.”
औरंगजेब कितना क्रूर था इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि उसने अपने पिता शाहजहां को आगरा के किले में कैद कर लिया था. औरंगजेब के तीन और भाई थे, दारा शिकोह, शाह शुजा और मुराद बख्श. बड़े भाई दारा शिकोह का उसने सिर कलम कराया था जबकि मुराद को जहर देकर मरवा दिया था. पिता शाहजहां पानी पानी करते दुनिया से चले गये लेकिन औरंगजेब ने उन्हें पानी तक नहीं दिया. इससे खिन्न होकर शाहजहां ने हिंदुओं की तारीफ की थी कि हिंदू अपने माता पिता की मौत के बाद उन्हे तर्पण करते हैं और एक तू है जो जीवित पिता को पानी के लिए तरसा रहा है.
औरंगजेब के बेटे आपस में लड़कर मरे
…लेकिन कहते हैं कि जो जैसा करता उसे वैसा ही भुगतना पड़ता है. औरंगजेब के बेटों ने भी वैसा ही किया जैसा बाप ने किया था. अपने अंतिम दिनों में औरंगज़ेब उत्तराधिकार खत्म कर अपने सम्राज्य को अपने बेटों में बांटना चाहता था. उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी. उनके बेटों मुहम्मद मुअज्जल, मुहम्मद आजम और कामबख़्श के बीच उत्तराधिकार के लिए युद्ध हुआ. युद्ध में उनका बड़ा बेटा शाहजादा मुअज्जल जीता और उसने अपने भाई मुहम्मद आजम और कामबख़्श को मार डाला.
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