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गैंगस्टर एक्ट के तहत अफजाल अंसारी को 4 साल की सजा, सांसदी जाना तय

गाजीपुर: गैंगस्टर एक्ट के तहत अफजाल अंसारी को गाजीपुर की न्यायाधीश प्रथम कोर्ट (एमपी-एमएलए) ने दोषी करार देते हुए 4 साल की सजा सुनाई है।वहीं अदालत ने अफजाल पर 1 लाख का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट द्वारा दोषी करार देते ही पुलिस ने अफजाल को हिरासत में ले लिया है। वहीं अब कोर्ट के […]

Afzal Ansari case
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  • Last Updated: April 29, 2023 16:03:33 IST

गाजीपुर: गैंगस्टर एक्ट के तहत अफजाल अंसारी को गाजीपुर की न्यायाधीश प्रथम कोर्ट (एमपी-एमएलए) ने दोषी करार देते हुए 4 साल की सजा सुनाई है।वहीं अदालत ने अफजाल पर 1 लाख का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट द्वारा दोषी करार देते ही पुलिस ने अफजाल को हिरासत में ले लिया है। वहीं अब कोर्ट के इस निर्णय के बाद उनके सांसद बने रहने पर खतरा मंडराने लगा है। बता दें कि अफजाल अंसारी बीएसपी (BSP) से सांसद हैं और साथ ही गाजीपुर लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। गाजीपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने आज शनिवार (29 अप्रैल) को अफजाल के भाई मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा सुनाने के साथ 5 लाख का जुर्माना भी लगाया है।

साल 2007 में इन दोनों भाइयों के खिलाफ कृष्णानंद राय और नंद किशोर रुंगटा केस को आधार बना कर गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज करवाया था। बता दें कि इस मामले में 15 अप्रैल को ही निर्णय आने वाला था। लेकिन जज के एकाएक छुट्टी पर जाने के कारण फैसले की तारीख 29 अप्रैल मुकर्रर हुई।

जानें पूरा मामला

दरअसल 22 नवंबर साल 2007 को मुहम्मदाबाद पुलिस ने भांवरकोल और वाराणसी के केस को गैंग चार्ट में शामिल करते हुए सांसद अफजाल अंसारी एवं मुख्तार अंसारी के विरुद्ध गिरोह बंद अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करवाया था। बता दें इसमें सांसद अफजाल अंसारी जमानत पर थे। वहीं 23 सितंबर साल 2022 को सांसद अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी के खिलाफ अदालत में प्रथम दृष्टया आरोप तय हुआ था।

गैंगस्टर में इन मुकदमों को बनाया गया था आधार
जानकारी के मुताबिक पुलिस ने सांसद अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर में निरुद्ध करने में मुहम्मदाबाद से अफजाल को हराकर बीजेपी से विधायक बने कृष्णानंद राय की हत्या और कोयला व्यवसायी रुंगटा मामले को आधार बनाया था। वहीं दोनों ही मामले में अफजाल अंसारी बरी हो चुके हैं। इसी को आधार बनाकर अफजाल ने गैंगस्टर के खिलाफ हाइकोर्ट पहुंचे थे। हाई कोर्ट जाकर तर्क दिया था कि जब मेन केस में बड़ी हो गए तो इसको आधार बनाकर की गई गैंगस्टर की कार्रवाई निरस्त होनी चाहिए। हालांकि उन्हें राहत नहीं मिली थी।

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