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Ambedkar Jayanti 2023: बाबा साहेब अंबेडकर ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाया, जानिए क्या है कारण

नई दिल्ली: आज 14 अप्रैल 2023 को भारतीय संविधान के जनक बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव रामाजी अंबेडकर की 132वीं जयंती सेलिब्रेट की जाएगी. उन्होंने देश में कमजोर, मजदूर और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और निचले तबके को समानता का हक दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन अर्पित कर दिया. बताया […]

Ambedkar Jayanti 2023
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  • Last Updated: April 14, 2023 08:04:19 IST

नई दिल्ली: आज 14 अप्रैल 2023 को भारतीय संविधान के जनक बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव रामाजी अंबेडकर की 132वीं जयंती सेलिब्रेट की जाएगी. उन्होंने देश में कमजोर, मजदूर और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और निचले तबके को समानता का हक दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन अर्पित कर दिया. बताया जाता हैं कि निचले कुल में जन्म लेने वाले भीमराव अंबेडकर ने बचपन से ही समाज में भेदभाव का सामना किया. दरअसल अंबेडकर समाज की वर्ण व्यवस्था को खत्म करना चाहते थे. एक वक्त ऐसा भी आया जब बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को हिंदू धर्म छोड़कर ने बौद्ध धर्म अपना लिया, आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया. इसके पीछे क्या कारण है. आइए चलिए जानते हैं.

आखिर अंबेडकर ने क्यों त्याग दिया था हिंदू धर्म ?

दरअसल बचपन से जाति प्रथा का दंश झेल चुके बाबा साहेब अंबेडकर ने 13 अक्टूबर साल 1935 को एक ऐलान किया. जिसमें अंबेडकर ने कहा कि वो हिंदू धर्म छोड़ने का फैसला ले चुके हैं. उन्होंने कहा कि, मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है, क्योंकि मनुष्य के विकास के लिए तीन चीजों की जरूरत होती है जो करुणा, समानता और स्वतंत्रता है. धर्म व्यक्ति के लिए है न कि व्यक्ति धर्म के लिए. साथ ही बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा कि उनके मतानुसार जाति प्रथा के चलते हिंदू धर्म में इन तीनों का ही अभाव था. इसी के चलते 14 अक्टूबर साल 1956 को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने अपने 3.65 लाख समर्थकों के संग हिंदू धर्म को त्याग कर बौद्ध धर्म अपना लिया था.

ये थे अंबेडकर के बौद्ध धर्म अपनाने के मुख्य कारण

बता दें भीमराव अंबेडकर ने हिंदू धर्म में व्याप्त वर्ण व्यवस्था को खत्म करने के लिए सामाजिक के साथ-साथ कानून की लड़ाई तक लड़ी, लेकिन जब उनके तमाम अभ्यास असफल हो गए तब उन्हें लगा कि हिंदू धर्म में जातिप्रथा और छुआ-छूत की कुरीतियों को दूर नहीं किया जा सकता. साथ ही अंबेडकर ने अपने भाषण में कहा था कि अगर सम्मानजनक जीवन और समान के हक चाहते हैं तो स्वंय की सहायता करनी होगी, इसके लिए धर्म बदलना ही मात्र एक रास्ता है. उनका कहना था कि मैं हिंदू के रूप में पैदा हुआ हूं, लेकिन हिंदू बनकर मरूंगा नहीं, कम से कम यह तो मेरे वश में है”

जानकारी के मुताबिक बौद्ध धर्म को अपनाने के पीछे बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का मानना था कि बौद्ध धर्म प्रज्ञा, करुणा प्रदान करता है और साथ ही समता का संदेश देता है. इन तीनों की वजह से मनुष्य एक अच्छा और सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकता है.

 

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