नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने का फैसला लिया है। बुधवार-30 अप्रैल को हुई कैबिनेट मीटिंग में जाति जनगणना कराने का लेकर फैसला लिया गया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीटिंग के बाद मीडिया से बात करते हुए इसकी जानकारी दी है।

1947 से नहीं हुई है जाति जनगणना

केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने बताया कि साल 1947 से जाति जनगणना नहीं हुई है। मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने जाति जनगणना की बात की थी लेकिन कभी करवाई नहीं। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ अपने राजनीति फायदे के लिए जाति जनगणना की बात करती रही है।

मोदी सरकार ने क्यों लिया ये फैसला?

इस बीच सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने इतना बड़ा फैसला क्यों लिया? मालूम हो कि पिछले कुछ सालों से कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार जाति जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं। राहुल ने चुनावी रैलियों में कहा है कि जब केंद्र में कांग्रेस सरकार आएगी तब जाति जनगणना कराई जाएगी।

अब मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने का फैसला किया है, जिससे राहुल गांधी और कांग्रेस से उसका सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा छिन गया है। केंद्र सरकार के इस फैसले को लोग बिहार चुनाव से जोड़कर भी देख रहे हैं। मालूम हो कि साल के आखिरी में बिहार में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। बिहार के चुनाव में जाति सबसे बड़ा फैक्टर होती है। ऐसे में जाति जनगणना कराने का फैसला बीजेपी को बिहार में चुनावी फायदा पहुंचा सकता है।

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