Assam Communal Tension: असम में हाल ही में हुई सांप्रदायिक घटनाओं के बीच राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस नेता गौरव गोगोई के उस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि इन घटनाओं के पीछे हिंदू समुदाय के लोग हो सकते हैं। मुख्यमंत्री ने गोगोई से सबूत पेश करने या सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की है और कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है।
उत्तरी लखीमपुर में मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री हिमंत सरमा ने कहा कि “अगर कोई यह सोच भी सकता है कि कोई हिंदू व्यक्ति मंदिर में गाय का सिर रख सकता है, तो उसकी सोच बहुत संकीर्ण और गंदी है।” उन्होंने साफ कहा कि अगर कांग्रेस नेता गौरव गोगोई के पास इन घटनाओं में हिंदुओं के शामिल होने का कोई सबूत है, तो वह उसे सरकार को सौंप दें, वरना हिंदू समाज का अपमान करना बंद करें।
सरमा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस हमेशा से तुष्टिकरण की राजनीति करती रही है और इस मामले में भी वह बिना तथ्यों के हिंदू समुदाय को बदनाम कर रही है।
गौरव गोगोई ने हाल ही में आरोप लगाया था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सांप्रदायिक भावनाएं भड़का रहा है। इस पर सीएम सरमा ने कहा कि यह बयान केवल राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से दिया गया है और इसका कोई आधार नहीं है।
सरमा ने कहा, “गोलपारा और धुबरी के लखीपुर में जितने भी लोग गिरफ्तार किए गए हैं, वे सभी अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। इसमें कोई हिंदू शामिल नहीं पाया गया है।” उन्होंने यह भी बताया कि इन मामलों में अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकांश लोगों ने ऐसी घटनाओं की निंदा की है।
सीएम सरमा ने कहा कि धुबरी जिले में अब तक 50 और गोलपारा में 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जो इन मंदिरों में गोमांस फेंकने की घटनाओं में शामिल थे। हालांकि, उन्होंने गुवाहाटी और होजई जैसी अन्य जगहों पर हुई घटनाओं के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी।
सरमा ने पहले दावा किया था कि 8 जून को ईद के दिन कुछ जगहों पर अवैध रूप से मवेशियों का वध किया गया और मंदिरों के पास मांस के टुकड़े फेंके गए। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी घटनाओं को बहुत गंभीरता से ले रही है और धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।