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दिग्गज कवि…भारत रत्न…बहुमुखी प्रतिभा के धनी अटल बिहारी की जयंती आज, पढ़ें उनकी प्रेरक कविताएं

नई दिल्ली। अटल बिहारी वाजपेयी को देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में गिना जाता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई दूरगामी परिणाम देने वाले काम किए। इसके अलावा उनको हमेशा ही उनके शानदार भाषणों तथा अपनी वाकपटुता के लिए जाना गया। अटल जी की समावेशी राजनीति के चलते उनके विरोधी भी उनके मुरीद रहे. उनकी वाकपटुता […]

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  • Last Updated: December 25, 2023 08:52:31 IST

नई दिल्ली। अटल बिहारी वाजपेयी को देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में गिना जाता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई दूरगामी परिणाम देने वाले काम किए। इसके अलावा उनको हमेशा ही उनके शानदार भाषणों तथा अपनी वाकपटुता के लिए जाना गया। अटल जी की समावेशी राजनीति के चलते उनके विरोधी भी उनके मुरीद रहे. उनकी वाकपटुता और तर्क के आगे कोई भी टिक नहीं पाता था। बता दें कि 25 दिसंबर को देश उनका जन्मदिन सुशासन दिवस के रूप में मना रहा है।

महान कवि

साहित्य के प्रति प्रेम ने उनको मृदभाषी वक्ता तो बनाया ही साथ ही उन्हें कर्णप्रिय कवि भी बनाया, उनकी कविताएं आज भी सीधा लोगों के दिलों पर दस्तक देती हैं। इसलिए उनके जन्मदिन पर हम लाए हैं उनकी कुछ यादगार कविताएं, जिसके एक-एक शब्द में गंभीर रहस्य है।

‘हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा’

पहली अनुभूति:

गीत नहीं गाता हूं बेनकाब चेहरे हैं,
दाग बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूं
गीत नहीं गाता हूं
लगी कुछ ऐसी नजर बिखरा शीशे सा
शहर अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूं,
गीत नहीं गाता हूं

दूसरी अनुभूति:

गीत नया गाता हूं
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं,
गीत नया गाता हूं
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा रार नहीं ठानूंगा।

खून क्यों सफेद हो गया?

भेद में अभेद हो गया,
बंट गए शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में दरार पड़ गई
दूध में दरार पड़ गई।
खेतों में बारूदी गंध टूट गए
नानक के छंद सतलुज सहम उठी,
व्यथित सी बितस्ता है बसंत में बहार झड़ गई
दूध में दरार पड़ गई।
अपनी ही छाया से बैर
गले लगने लगे हैं अब गैर
खुदकुशी का है रास्ता,
तुम्हें है वतन का वास्ता
बात बनाएं बिगड़ गई
दूध में दरार पड़ गई।

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