AAP Councillor Split: दिल्ली की सियासत में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला है. जब आम आदमी पार्टी (AAP) के 15 पार्षदों ने पार्टी से इस्तीफा देकर नई राजनीतिक राह पकड़ ली है. शनिवार को पार्षद हेमचंद गोयल के नेतृत्व में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में इन पार्षदों ने थर्ड फ्रंट के रूप में ‘इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी’ के गठन का ऐलान किया. इस नई पार्टी का नेतृत्व पूर्व AAP नेता और दिल्ली नगर निगम (MCD) के पूर्व नेता सदन मुकेश गोयल को सौंपा गया है. यह कदम AAP के लिए एक बड़ी सियासी चुनौती बन सकता है. खासकर तब जब दिल्ली नगर निगम में सत्ता संतुलन पहले से ही नाजुक है.
नई पार्टी जिसका नाम ‘इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी’ रखा गया है. दिल्ली नगर निगम में एक तीसरे मोर्चे के रूप में उभरने की कोशिश में है. इस पार्टी में शामिल होने वाले 15 पार्षदों में मुकेश गोयल, हेमचंद गोयल, दिनेश भारद्वाज, हिमानी जैन, उषा शर्मा, साहिब कुमार, राखी यादव, अशोक पांडेय, राजेश कुमार, अनिल राणा, देवेंद्र कुमार, रुनाक्षी शर्मा, सुमन अनिल राणा और अन्य शामिल हैं. इन नेताओं का दावा है कि वे दिल्ली की जनता के हित में काम करेंगे और निगम में प्रभावी बदलाव लाएंगे.
इस्तीफा देने वाले पार्षदों ने AAP के शीर्ष नेतृत्व पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. मुकेश गोयल ने कहा हमेशा ऊपर से आदेश आते थे. नीचे की कोई बात नहीं सुनी जाती थी. मुझे नेता सदन बनाया गया लेकिन हमें कोई जानकारी नहीं होती थी. उन्होंने यह भी बताया कि 2022 में वे AAP के टिकट पर चुनाव लड़े थे. लेकिन पार्टी ने उनकी अपेक्षाओं को पूरा नहीं किया. वहीं हेमचंद गोयल ने तंज कसते हुए कहा निगम का अर्थ है सत्ता का विकेंद्रीकरण लेकिन AAP ने केंद्रीय स्तर पर एक ही व्यक्ति को सारी शक्ति दे दी. इन आरोपों से AAP की आंतरिक कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं.
वर्तमान में दिल्ली नगर निगम में भाजपा के पास 117 पार्षद, AAP के पास 113 और कांग्रेस के पास 8 पार्षद हैं. 15 पार्षदों के इस्तीफे के बाद AAP की ताकत और कमजोर हो सकती है. जिससे निगम में सत्ता का समीकरण बदल सकता है. हाल ही में हुए MCD मेयर चुनाव में भाजपा के राजा इकबाल सिंह ने जीत हासिल की थी. जबकि AAP ने चुनाव का बहिष्कार किया था. इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी के गठन के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नया गुट MCD में अपनी सियासी पकड़ कैसे मजबूत करता है.
इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी के गठन ने दिल्ली की राजनीति में नई हलचल मचा दी है. यह नया थर्ड फ्रंट दिल्ली की जनता के सामने एक वैकल्पिक राजनीतिक ताकत के रूप में उभरने की कोशिश करेगा. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इस नए गुट को अपनी साख बनाने और जनता का भरोसा जीतने में समय लग सकता है. मुकेश गोयल और उनके सहयोगी पार्षदों का यह कदम AAP के लिए एक सबक हो सकता है कि आंतरिक समन्वय और पारदर्शिता की कमी किसी भी पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकती है.
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