Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनाव होने में अभी देरी है, लेकिन अभी से ही चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है। सभी पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। इस बीच बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की एंट्री ने कई पार्टियों की टेंशन बढ़ा दी है। आरोप-प्रत्यारोप के बीच सीएम नीतीश कुमार ने केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान से एक ऐसा सवाल पूछा जिसकी राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा हो रही है। दरअसल, 20 जून को सीवान में पीएम नरेंद्र मोदी की जनसभा में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के बाद कई तरह की बातें होने लगीं। बताया जा रहा है कि सीएम नीतीश ने चिराग पासवान से पूछा कि क्या आप भी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे?
चिराग पासवान के जीजा और जमुई से सांसद अरुण भारती ने बताया कि नीतीश कुमार ने मजाक-मजाक में चिराग पासवान से बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर पूछा। साथ ही उन्होंने चिराग पासवान के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी बात की। चिराग पासवान ने कहा कि पार्टी में चुनाव लड़ने को लेकर चर्चा चल रही है, लेकिन अभी कुछ तय नहीं है। अब दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत चर्चा का विषय बन गई है। राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
जमुई के सांसद अरुण भारती ने जानकारी देते हुए बताया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के बीच खूब हंसी-मजाक हुआ। नीतीश कुमार ने चिराग पासवान से पूछा कि क्या वह वाकई बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे? अगर हां, तो कहां से। नीतीश कुमार ने आगे कहा कि अभी आप युवा हैं, केंद्रीय मंत्री हैं, आपका राजनीतिक भविष्य उज्ज्वल है। आपके पिता से मेरे बहुत अच्छे संबंध थे, मैं आपका बहुत सम्मान भी करता हूं। अभी आपको बिहार में चुनाव लड़ने की क्या जरूरत है।
अरुण भारती के मुताबिक, चिराग पासवान ने जवाब दिया कि पार्टी में इस बारे में चर्चा चल रही है, लेकिन अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी भविष्य में चुनाव लड़ने का फैसला करती है, तो वह नीतीश कुमार का आशीर्वाद लेने जरूर आएंगे। इससे पहले भी चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके आवास पर मुलाकात की थी। दोनों नेताओं के बीच यह दूसरी मुलाकात थी, जिससे राजनीतिक माहौल और भी गरमा गया है।
चिराग पासवान ने शनिवार को सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने दुर्घटना के शिकार लोगों के परिवारों को मुआवजा देने में आने वाली कठिनाइयों का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि जब किसी की मृत्यु होती है तो परिवार को मुआवजा मिलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि इसकी प्रक्रिया बहुत जटिल होती है। उन्होंने इसे अमानवीय बताया।