पटना. बिहार राज्य में 166 ग्रुप-डी पदों के लिए पांच लाख से अधिक लोगों के आवेदन करने पर विवाद बढ़ रहा है. इसलिए बिहार के मंत्री श्रवण कुमार ने शुक्रवार को यह कहते हुए इसे रद्द कर दिया कि अगर लोग नौकरियों के लिए आवेदन करते हैं तो सरकार क्या कर सकती है? उन्होंने कहा, लोग अपने हिसाब से नौकरियों के लिए आवेदन करते हैं. सरकार क्या कर सकती है? ऐसा नहीं है कि सरकार उन्हें किसी विशेष नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए कहती है. कुमार ने एएनआई को बताया कि सरकार केवल यही सुनिश्चित कर सकती है कि मेधावी आवेदकों का चयन किया जाए.
श्रवण कुमार, जो ग्रामीण विकास और संसदीय मामलों के मंत्री हैं, ने माना कि विकास चिंता का विषय है. हालांकि, उन्होंने सूक्ष्म रूप से उसी के लिए दुनिया भर में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा, हालांकि यह चिंताजनक है, पूरी दुनिया कड़ी प्रतिस्पर्धा के दौर से गुजर रही है. बता दें कि बिहार विधानसभा में 166 ग्रुप-डी के रिक्त पदों के लिए स्नातक, स्नातकोत्तर, एमबीए और एमसीए डिग्री धारकों सहित लगभग पांच लाख आवेदकों के बाद कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने भाजपा-जद (यू) राज्य सरकार पर निशाना साधा है.
#WATCH Shrawan Kumar, Bihar Min on '5 lakh applicants for 186 Group-D posts': Niyukti paane wale log apni icchha se aavedan dete hain. Yeh nahi ki unko sarkar kehti hai ki aap yahin par aavedan dijiye. Toh ismey sarkar kya kar sakti hai? Jo meritorious hai, uska selection hoga. pic.twitter.com/O1s4JCsxBF
— ANI (@ANI) November 22, 2019
इस पर बिहार के शिक्षा मंत्री और जेडीयू नेता केएन प्रसाद वर्मा ने कहा, 166 ग्रुप-डी पदों के लिए 5 लाख आवेदन प्राप्त किए हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि वहां बेरोजगारी है. नौकरियों की संख्या सीमित है, जबकि उम्मीदवारों की संख्या बढ़ रही है. इस समस्या को हल करने के लिए एक तकनीक को अपनाने की आवश्यकता है. बता दें कि विधानसभा में बिहार की 166 ग्रुप डी की रिक्तियां स्नातक, स्नातकोत्तर, एमबीए और एमसीए डिग्री धारकों सहित लगभग 5 लाख आवेदकों के साथ भर गई हैं. यदि अंत में चुना जाता है, तो वे चपरासी, माली, द्वारपाल, सफाईकर्मी और इतने पर काम करेंगे.
Bihar Education Min & JDU leader KN Prasad Verma on '5 lakh applications have been received for 186 Group-D posts': It is because there is unemployment. Number of jobs is limited, while number of candidates is increasing. There is a need to adopt a technique to solve this problem pic.twitter.com/zm6eaYtwA4
— ANI (@ANI) November 22, 2019
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