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विधान परिषद में शून्य हुई बसपा, अब मिलेगा सपा को नेता प्रतिपक्ष का स्थान

नई दिल्ली/ लखनऊ। विधान परिषद की 13 सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन होने के बाद यहां की पूरी स्थिति बदल चुकी है। बता दें कि आज यानी गुरुवार को विधानपरिषद के लिए एनडीए के 10 और सपा के 3 प्रत्याशियों को निर्विरोध निर्वाचित किया गया। इन निर्वाचित प्रत्याशियों में बीजेपी के सात, सपा के तीन, सुभासपा, […]

BSP becomes void in Legislative Council, now SP will get the position of Leader of Opposition
inkhbar News
  • Last Updated: March 14, 2024 21:14:19 IST

नई दिल्ली/ लखनऊ। विधान परिषद की 13 सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन होने के बाद यहां की पूरी स्थिति बदल चुकी है। बता दें कि आज यानी गुरुवार को विधानपरिषद के लिए एनडीए के 10 और सपा के 3 प्रत्याशियों को निर्विरोध निर्वाचित किया गया। इन निर्वाचित प्रत्याशियों में बीजेपी के सात, सपा के तीन, सुभासपा, अपना दल एस और रालोद का एक-एक उम्मीदवार शामिल हैं।

इन निर्वाचित प्रत्याशियों में बीजेपी के विजय बहादुर पाठक, डॉ महेंद्र सिंह, अशोक कटारिया, संतोष सिंह, धर्मेंद्र सिंह, राम तीरथ सिंघल, मोहित बेनीवाल, सुभासपा के विच्छे लाल राजभर, अपना दल एस के आशीष सिंह पटेल, रालोद के योगेश चौधरी और सपा के किरण पाल कश्यप, बलराम यादव और गुड्डू जमाली का नाम है। इन सभी का कार्यकाल विधान परिषद सदस्य के रूप में 31 जनवरी 2024 से अगले छह साल के लिए होगा।

भाजपा की सदस्य संख्या में आई कमी

वहीं दूसरी तरफ जहां इससे कुछ दलों को झटका लगा है, तो वहीं कुछ की उम्मीदें बढ़ी हैं। क्योंकि, सहयोगी के साथ सीटें साझा करने के चलते भाजपा की अपनी सदस्य संख्या कम हो गई है। वहीं, सपा ने सदन में 1/10 सदस्य का आंकड़ा छू लिया है। ऐसे में उसे सपा को नेता प्रतिपक्ष का ओहदा मिल सकता है। जबकि, बसपा विधान परिषद में शून्य हो गई है।

पहले विधान परिषद में भाजपा के 82 सदस्य थे। जिसमें 10 का कार्यकाल पूरा हो चुका है। 1 सीट उसके सहयोगी अपना दल की खाली हुई थी। संख्या बल के हिसाब से देखें तो भाजपा के 10 सदस्य चुने जा सकते थे, लेकिन उसने एक-एक सीटें अपना दल, सुभासपा व रालोद को दे दी। जिसके कारण उसके 7 सदस्य चुनकर ही पहुंचे और सदस्य संख्या 79 हो गई। वहीं, बसपा के पास विधानसभा में महज 1 सीट थी, इसलिए, परिषद में खाली हुई सीट पर निर्वाचन तो दूर की बात है नामांकन भी संभव नहीं था। यही कारण है कि उच्च सदन से बसपा साफ हो गई है। वहीं इससे पहले जुलाई, 2022 में कांग्रेस भी परिषद में शून्य हो चुकी है।

20 महीने बाद दोनों सदनों होंगे नेता प्रतिपक्ष

गौरतलब है कि सदन में किसी भी पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का ओहदा प्राप्त करने के लिए कुल सदस्य संख्या का 1/10 सदस्य होना जरूरी है। जुलाई 2022 में सपा की 9 हो गई थी। जिसके बाद सभापति ने सपा की नेता प्रतिपक्ष की मान्यता खत्म कर दी थी। उस समय लाल बिहारी यादव नेता प्रतिपक्ष थे। लेकिन हाल ही में जो 13 सीटें खाली हुईं, उसमें सपा की भी एक सीट शामिल थी। लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफा देने के कारण सपा की सीटें घटकर 7 रह गई थीं।

ऐसे में 3 सदस्यों के निर्विरोध निर्वाचन के बाद अब सपा के 10 सदस्य पूरे हो गए हैं। जिसके बाद सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी का कहना है ‘नेता प्रतिपक्ष की मान्यता के लिए आवश्यक सदस्य संख्या का मानक पार्टी द्वारा पूरा कर लिया गया है। अब जल्द ही इसके लिए सभापति के सामने आवेदन किया जाएगा। बता दें कि लगभग 20 महीने बाद अब दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष रहेंगे।

परिषद का लेखा-जोखा

भाजपा – 79
सपा – 10
निर्दल -04
अपना दल (एस) – 01
निषाद पार्टी – 01
सुभासपा – 01
रालोद – 01
जनसत्ता दल – 01
शिक्षक दल (गैर राजनीतिक) – 01
रिक्त – 01