नई दिल्ली. Budget 2019 7th Pay Commission: केंद्रीय सरकार के कर्मचारी सातवें वेतन आयोग पर कुछ अच्छी खबरों के लिए लंबे समय से चिंता के साथ इंतजार कर रहे थे. आज केंद्रीय बजट पेश किया गया. सरकारी कर्मचारियों को उम्मीद थीं कि बजट 2019 में सातवें वेतन आयोग के तहत कई बड़े फैसले होंने जिनमें से कुछ फैसले उनके हित में होंगे. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए इस साल भी बजट में कुछ अच्छी खबरें पेश नहीं की गई हैं. खासतौर पर ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है ऐसे में सरकारी कर्मचारियों को कोई फायदा ना देना नुकसानदायक साबित हो सकता है.
हालांकि पहले संभावना थी कि मुख्य फोकस अर्थव्यवस्था में सुधार लाना होगा. हालांकि कई लोगों का मानना है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए सोप्स की घोषणा की जानी चाहिए क्योंकि इससे खर्च में वृद्धि होगी, जिससे पैसा बाजार में आएगा और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी. आर्थिक सर्वेक्षण गुरुवार को संसद में पेश किया गया था. इससे ये भी सामने आया कि भारती की अर्थव्यवस्था बेकार हालत में है. सरकार अधिक पैसे बाजार में डालना चाहती है ताकि मांग में बढ़ोतरी हो. बजट की तैयारियों से पहले, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन वृद्धि संबंधित मुद्दे के बारे में जानकारी दी गई थी. सूत्रों ने कहा कि मंत्री इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए उत्सुक थी.
आज बजट पेश होने से पहले संभावना जताई जा रही थी कि वित्त मंत्री केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की मांगों को ध्यान में रखेंगी. सातवें वेतन आयोग ने मूल न्यूनतम वेतन में 18,000 रुपये की बढ़ोतरी की सिफारिश की थी. केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की मांग थी कि फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाया जाए और मूल न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये तय किया जाए. हालांकि बजट में इनमें से किसी पर भी फैसला नहीं लिया गया.