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केंद्र सरकार के अस्थायी कर्मचारियों को मिल सकता है तोहफा, पक्की नौकरी के लिए पूरी करनी होगी ये शर्त

नरेंद्र मोदी सरकार विभिन्न विभागों और मंत्रालयों में कार्यरत अस्थायी कर्मचारियों को फुल टाइम करने की तैयारी कर रही है. सूत्रों के मुताहिक जल्द ही केंद्र सरकार की तऱफ से इस संबंध में बड़ा ऐलान किया जा सकता है. बताया जा रहा है कि लिखित परीक्षा या साक्षात्कार, जो भी विभाग तय करेगा, वह पास करने के बाद उस कर्मी को स्थायी कर दिया जाएगा.

central government temporary workers
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  • Last Updated: October 11, 2020 17:07:00 IST

केंद्र सरकार में लंबे समय से काम कर रहे अस्थायी कर्मियों को अब पक्का करने की तैयारी हो रही है, यानी उनकी नौकरी स्थायी हो जाएगी. हालांकि इसके लिए उन्हें कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी. जैसे संबंधित कर्मी को स्वीकृत पद पर अस्थायी रूप से काम करते हुए दस साल हो गए हों. वह सीधी भर्ती प्रक्रिया के जरिए विभाग में आया हो और उसका केस अदालत में नहीं होना चाहिए.

लिखित परीक्षा या साक्षात्कार, जो भी विभाग तय करेगा, वह पास करने के बाद उस कर्मी को स्थायी कर दिया जाएगा. मंत्रालय या विभाग को सामान्य नियमों के तहत ये नियुक्ति प्रक्रिया छह माह में पूरी करनी पड़ती है, लेकिन यहां कहा गया है कि जब तक ऐसे सभी योग्य कर्मी स्थायी होने की प्रक्रिया में नहीं आ जाते, तब तक इसे जारी रखा जाएगा.

डीओपीटी ने ये आदेश अपने सभी मंत्रालयों और विभागों के लिए जारी किए हैं. अब ये आदेश इसलिए जारी किए गए हैं, क्योंकि अनेक विभागों द्वारा इस संबंध में डीओपीटी को लगातार सवाल भेजे जा रहे थे. इनमें पूछा गया था कि फलां कर्मी इतने साल से अस्थायी पद पर कार्यरत है, उसे स्थायी करना है या नहीं.

अगर स्थायी करना है, तो उसकी प्रक्रिया क्या होगी. डीओपीटी ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सेक्रेटरी स्टेट ऑफ कर्नाटक बनाम उमा देवी केस के तहत काम किया जाए. इसमें कहा गया है कि कोई भी नियुक्ति संविधान के दायरे में हो. इस फैसले के पैरा 44 में लिखा है कि केंद्र, राज्य सरकार या अन्य कोई संस्थान ‘एक बारगी उपाय’ के तहत इसका इस्तेमाल कर सकता है.

जिस व्यक्ति को पक्का किया जाना है, वह संबंधित पोस्ट के लिए जरुरी योग्यताएं पूरी करता हो. दस साल तक वह कर्मी काम कर चुका हो और उसका केस किसी अदालत या ट्रिब्यूनल में न हो. यहां इसका मतलब है कि उसकी नियुक्ति अदालती आदेशों के तहत नहीं होनी चाहिए. ऐसे सभी अस्थायी कर्मी उमा देवी केस के आधार नियमित सेवा में आ सकते हैं.

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