Chandrayaan-2 Mission Sriharikota GSLV-III Launch Route: भारतीय मून मिशन चंद्रयान 2 लॉन्च सफल, जानें विक्रम लैंडर, रोवर प्रग्यान 48 दिनों में चांद के दक्षिणी ध्रूव पर कैसे और किस रास्ते से पहुंचेगा
Chandrayaan-2 Mission Sriharikota GSLV-III Launch Route: भारतीय मून मिशन चंद्रयान 2 लॉन्च सफल, जानें विक्रम लैंडर, रोवर प्रग्यान 48 दिनों में चांद के दक्षिणी ध्रूव पर कैसे और किस रास्ते से पहुंचेगा
Chandrayaan-2 Mission Sriharikota GSLV-III Launch Route: भारत ने एक नया इतिहास रच लिया है. इसरो ने भारत के दूसरे मून मिशन के तहत चंद्रयान 2 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. इसे आज यानी 22 जुलाई को दोपहर 2.43 बजे लॉन्च किया गया. इस चंद्रयान को चांद पर पहुंचने में 48 दिनों का समय लगेगा. ये चंद्रयान जीएसएलवी एमके- III रॉकेट द्वारा भेजा गया है. इस रॉकेट से चंद्रयान को अलग होने में समय लगेगा. पूरे रूट पर ये अलग-अलग स्टेप्स में अलग-अलग तरीके से अलग होगा.
नई दिल्ली. इसरो ने चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक आज 22 जुलाई दोपहर 2.43 पर श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च कर दिया गै. ये लॉन्च सफलतापूर्वक हो गया है. इसका लॉन्च पहले 15 जुलाई को होना था. हालांकि इसमें कुछ तकनीकी खामी आने के कारण इसे रोक दिया गया था. अब 22 जुलाई को इसे लॉन्च किया गया. इस चंद्रयान को चांद पर पहुंचने में 48 दिन लगेंगे. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो का ये दूसरा मून मिशन है. चंद्रयान 2 को रॉकेट GSLV-Mk0III-M1 द्वारा लॉन्च किया गया है. ये आज से 48 वें दिन चांद की सतह पर लैंड होगा. इन 48 दिनों में ये चंद्रयान रॉकेट के साथ एक लंबे रास्ते से गुजरेगा. ये पृथ्वी से लगभग 3,84,000 किमी की दूरी तय करेगा.
जानें क्या होगा चंद्रयान 2 का रूट (चांद पर पहुंचने का रास्ता)
इसरो के श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च होने के बाद 16.23 मिनट में चंद्रयान-2 पृथ्वी से 182 किमी की ऊंचाई पर जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट से अलग हो जाएगा.
रॉकेट से अलग होकर ये पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाना शुरू करेगा.
ये 22 जुलाई से लेकर 13 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा.
चंद्रयान-2 13 अगस्त से 19 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली कक्षा में चलेगा.
19 अगस्त को चांद की कक्षा में पहुंचेगा.
13 दिन बाद 31 अगस्त तक चांद के चारों तरफ चक्कर लगाएगा.
1 सितंबर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा.
ऑर्बिटेर से अलग होने के बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ बढ़ेगा.
5 दिन की यात्रा के बाद 6 सितंबर को विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा.
लैंड होने के 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर उतरेगा.
चांद की सतह पर ये चांद की मिट्टी का रासायनिक विश्लेषण करेगा. चांद की झीलों को मापने के साथ लूनर क्रस्ट में खुदाई करेगा. चंद्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी का पता लगाया था और अब चंद्रयान-2 चांद पर पानी की खोज करेगा.