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China: अपनी ही चाल में फंसा चीन, आम लोग की वजह से जिनपिंग सरकार चिंतित

नई दिल्लीः चीन में जनसंख्या में आ रही गिरावट को लेकर लगातार चिंता बढ़ रही है। बुधवार यानी 17 दिसबंर को चीन की सरकार ने वार्षिक आंकड़े जारी किए। जिनके मुताबिक, चीन में साल 2023 में आबादी में 20 लाख की गिरावट देखी गई है। बीते छह दशकों में पहली बार वर्ष 2022 में चीन […]

China: अपनी ही चाल में फंसा चीन, आम लोग की वजह से जिनपिंग सरकार चिंतित
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  • Last Updated: January 17, 2024 16:14:29 IST

नई दिल्लीः चीन में जनसंख्या में आ रही गिरावट को लेकर लगातार चिंता बढ़ रही है। बुधवार यानी 17 दिसबंर को चीन की सरकार ने वार्षिक आंकड़े जारी किए। जिनके मुताबिक, चीन में साल 2023 में आबादी में 20 लाख की गिरावट देखी गई है। बीते छह दशकों में पहली बार वर्ष 2022 में चीन की आबादी में गिरावट देखी गई थी। इसकी वजह चीन में प्रजनन दर में आई तेज गिरावट को बताया जा रहा है। बता दें कि चीन ने कई साल पहले अपनी बढ़ती जनसंख्या को कम करने के लिए वन चाइल्ड पॉलिसी लागू की थी।

चीन में प्रजनन दर में आई गिरावट

वन चाइल्ड नीति की वजह से चीन की जन्म दर में तेज गिरावट देखी गई है और अब विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था आबादी में गिरावट की समस्या से जूझ रही है। जानकार मानते हैं कि आने वाले सालों में चीन में यह समस्या और भी विकराल रुप ले सकती है। संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या फंड डाटा के मुताबिक, भारत अब चीन को पछाड़कर दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। बता दें कि भारत की जनसंख्या पिछले साल 142.86 करोड़ थी। वहीं चीन की आबादी 140 करोड़ है। चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिक्स ने जानकारी दी है कि चीन में बीते साल 90 लाख बच्चे पैदा हुए, जो कि साल 2022 में पैदा हुए 95.6 लाख बच्चों से 5 फीसदी कम हैं।

चीनी सरकार ने लागू की नई योजानाएं

घटती आबादी से जिनपिंग सरकार भी चिंतित है। यही वजह है कि साल 2021 में चीन की सरकार ने जनसंख्या बढ़ाने के लिए तीन बच्चों की नीति लागू किया था। चीन की सरकार ने अपने कई प्रांतों में जन्म दर बढ़ाने के लिए दूसरे और तीसरे बच्चे के जन्म पर प्रोत्साहन योजनाएं भी लागू की हैं ताकि लोग ज्यादा संख्या में बच्चे पैदा कर सके। हालांकि अभी जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, उनसे ऐसा लगता है कि इन प्रोत्साहन योजनाओं से ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। चीन में साल 2016 से जनसंख्या विकास दर कम हुई है क्योंकि चीन में अब बच्चों को पालने, पढ़ाने-लिखाने का खर्च ज्यादा हो गया है।

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