नई दिल्ली। बड़े बड़े पोस्टर, पार्किंग में खड़ी महंगी गाड़ियां और चमचमाती शीशों की बिल्डिंग देखने में जितनी सुन्दर और आलीशान लगती हैं, उसके पीछे उतनी  चिंता, दुख और लाचारी छुपी होती है। लाचारी वहां काम करने वाले लोगों की, जो सफलता के दौड़ में खुद को साबित करने के लिए भाग रहे हैं, क्योंकि पीछे उनके मां-बाप की आस है कि उनका बच्चा सब ठीक कर देगा। लेकिन बीच में आ जाती है संस्थाओं की राजनीति और अमानवता।

पहले तो कर्मचारी को उसकी योग्यता से कम वेतन देना फिर बिना अपनी जिम्मेदारी निभाए संस्थाएं ये अपेक्षा करती है कि कर्मचारी तन मन से काम करे। इसके बाद भी पूरा महीना काम करने के बाद कर्मचारियों को जब उनके वेतन के लिए अगले एक महीने तक रुकना पड़ता है। तब यह सवाल पैदा होता है कि क्या इसके लिए कुछ किया जा सकता है? आज हम आपको इसी सवाल का जवाब देंगे।

अगर वेतन नहीं दिया जाता है…

अगर कोई कंपनी किसी कर्मचारी का वेतन रोकती है या वेतन देने से इनकार करती है, तो शिकायत की जा सकती है। अगर कर्मचारी ने काम किया है, तो उसे तय वेतन पाने का अधिकार है। अगर कंपनी वेतन नहीं देती है, तो कर्मचारी सीधे राज्य सरकार के श्रम न्यायालय या जिला न्यायालय में शिकायत कर सकता है।

अगर उससे तय शिफ्ट से ज़्यादा काम कराया जाता है…

अगर कर्मचारी से तय शिफ्ट से ज़्यादा काम कराया जाता है, तो कर्मचारी को इसकी शिकायत करने का अधिकार है। ऐसे में कर्मचारी सीधे श्रम न्यायालय निरीक्षक या आयुक्त को लिखित में शिकायत कर सकता है।

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