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यूपी में योगी सरकार और संगठन के बीच बढ़ा टकराव, अचानक दिल्ली पहुंचे मौर्य और भूपेंद्र चौधरी

लखनऊ/नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में झटके के बाद उत्तर प्रदेश बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. आधी से ज्यादा लोकसभा सीटों पर मिली हार को लेकर योगी सरकार और पार्टी संगठन आमने-सामने आ गया है. इस बीच प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य अचानक दिल्ली पहुंचे हैं. बताया जा […]

(CM Yogi-Keshav Prasad Maurya)
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  • Last Updated: July 16, 2024 16:16:05 IST

लखनऊ/नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में झटके के बाद उत्तर प्रदेश बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. आधी से ज्यादा लोकसभा सीटों पर मिली हार को लेकर योगी सरकार और पार्टी संगठन आमने-सामने आ गया है. इस बीच प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य अचानक दिल्ली पहुंचे हैं. बताया जा रहा है कि वह राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात करेंगे. मालूम हो कि इससे पहले रविवार को केशव मौर्य ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा था कि संगठन हमेशा सरकार से बड़ा होता है.

समीक्षा बैठक में साफ दिखी कड़वाहट

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने रविवार-14 जुलाई को यूपी में लोकसभा चुनाव के अपने प्रदर्शन की समीक्षा की. राजधानी लखनऊ में हुई इस समीक्षा बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम- केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक व प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी समेत कई बड़े नेता शामिल हुए. मीटिंग के दौरान राज्य सरकार और संगठन के बीच कड़वाहट साफ देखी गई. जहां एक ओर सीएम योगी ने अपनी सरकार का काम गिनाया और कहा कि हमें हताश होने की जरूरत नहीं है. वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि हमारे लिए कार्यकर्ताओं के सम्मान से बड़ा कुछ नहीं है.

कार्यकर्ताओं की उपेक्षा बनी हार की वजह!

मालूम हो कि यूपी में विपक्षी अक्सर आरोप लगाते हैं कि योगी राज में प्रदेश में अफसरशाही हावी है. गाहे-बगाहे बीजेपी के विधायक और सांसद भी दबी जुबान से कहते आए हैं कि आला अफसर उनकी बातों को तवज्जों नहीं देते हैं. स्थानीय स्तर पर भी नेताओं की यही शिकायत रहती है कि प्रदेश में अपनी सरकार होने के बावजूद थाने और अन्य जगहों पर उनकी सुनवाई नहीं होती है. लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद लखनऊ के सियासी गलियारों में इसकी खूब चर्चा की जा रही है कि बीजेपी के लोकल वर्कर्स इस चुनाव में उतना एक्टिव नहीं रहे जितना वो इलेक्शन में रहते हैं. इसकी बड़ी वजह उनका अपनी ही सरकार में उपेक्षित महसूस करना है.

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