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COVID-19 : कोरोना का कौन सा वेरिएंट बन सकता है नई लहर का कारण, पहले ही बता देगा AI!

नई दिल्लीः दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। वक्त-वक्त पर सामने आने वाले इसके नए-नए वेरिएंट्स तमाम देशों के लिए चिंता का विषय बन रहे हैं। इस समय इसके JN.1 वेरिएंट ने तहलका मचाया हुआ है। वहीं एक नई स्टडी में ये बात सामने आई है कि आर्टिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) का […]

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  • Last Updated: January 6, 2024 14:47:02 IST

नई दिल्लीः दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। वक्त-वक्त पर सामने आने वाले इसके नए-नए वेरिएंट्स तमाम देशों के लिए चिंता का विषय बन रहे हैं। इस समय इसके JN.1 वेरिएंट ने तहलका मचाया हुआ है। वहीं एक नई स्टडी में ये बात सामने आई है कि आर्टिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) का नया मॉडल कोविड-19 के नए वेरिएंट्स का पहले से अनुमान लगा सकता है।

क्या कहती है स्टडी ?

अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और इजराइल के द हिब्रू यूनिवर्सिटी-हादासाह मेडिकल स्कूल की समूह ने ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग एवियन इन्फ्लुएंजा डेटा (GISAID) द्वारा 30 देशों से नमूने लिए हैं। इनमें SARS- COV-2 वायरस के 90 लाख नमूनों के जेनेटिक सीक्वेन्स का विश्लेषण किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मॉडल की सहायता से इन्फ्लूएंजा, hCoV-19, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (RSV), एचएमपीएक्सवी के साथ-साथ चिकनगुनिया, डेंगू और जीका समेत दूसरे मच्छर या कीटों से पैदा होने वाले वायरस से डेटा को तेजी से साझा करने में सहायता मिलेगी।

इस तरह काम करेगा मॉडल

ये रिसर्च ‘पीएनएएस नेक्सस’ पत्रिका में पब्लिश स्टडी में दावा कर बताया है कि यह मॉडल हर देश में अगले तीन महीनों में 10 लाख लोगों में कम से कम 1000 लोगों को संक्रमित करने वाले ऐसे 72.8 प्रतिशत वेरिएंट्स का पता लगा सकेगा। वेरिएंट्स का पता लगाने के लिए मॉडल को सिर्फ एक सप्ताह का ऑब्जर्वेशन पीरियड की आवश्यकता होती है। वहीं अगर इस ऑब्जर्वेशन पीरियड को बढ़ाकर दो हफ्ते कर दिया जाए, तो वेरिएंट्स का अनुमान लगाने की यह दर 80.1 प्रतिशत बढ़ सकती है।शोधकर्ता अभी इस क्षेत्र में और ज्यादा रिसर्च कर रहे हैं, ताकि इससे मॉडल का इंफ्लुएंजा, एवियन फ्लू वायरस समेत दूसरे रेस्पिरेटरी वायरस के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

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